महादेवी वर्मा के 111 वी जयंती पर Google ने डूूडल बनाकर महान कवित्री को भावनात्मक श्रद्धांजलि।
Report Hari Om Dwivediनई दिल्ली, 26 हिंदी साहित्य जगत की आधुनिक ‘मीरा’ महादेवी वर्मा की आज 111वीं जयंती है. महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानंदन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है.उनका जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. आधुनिक हिंदी कविता में वह एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरीं. उनकी गणना सबसे सशक्त कवयित्रियों में की जाती है.
महादेवी वर्मा की 111वीं जयंती पर पढ़ें उनकी सबसे चर्चित कविताएं।
महादेवी वर्मा के द्वारा लिखित अनेक कविताओं का आम जनमानस पर प्रभाव सदैव पड़ा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में महादेवी वर्मा जैसी महान कवित्री का महत्वपूर्ण योगदान रहा है उनकी कविताओं में समाज को एक सीख एवं सत्य मार्ग दिखाने का कार्य किया है।
पढ़ें उनकी कुछ कविताएं
जब यह दीप थके तब आना
यह चंचल सपने भोले है,
दृग-जल पर पाले मैने, मृदु
पलकों पर तोले हैं,
दे सौरभ के पंख इन्हें सब नयनों मे पहुंचाना!
पूछता क्यों शेष कितनी रात?
पूछता क्यों शेष कितनी रात?
छू नखों की क्रांति चिर संकेत पर जिनके जला तू
स्निग्ध सुधि जिनकी लिये कज्जल-दिशा में हंस चला तू
परिधि बन घेरे तुझे, वे उंगलियां अवदात!
(जो तुम आ जाते एक बार)
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आंसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार
(क्या जलने की रीत)
घेरे हैं बंदी दीपक को
ज्वाला की वेला
दीन शलभ भी दीप शिखा से
सिर धुन धुन खेला
इसको क्षण संताप भोर उसको भी बुझ जाना
बता दें महादेवी वर्मा को शिक्षा और साहित्य प्रेम एक तरह से विरासत में मिला था. उनकी शुरुआती शिक्षा इंदौर में हुई थी. महादेवी वर्मा ने बी.ए. जबलपुर से किया. वह अपने घर में सबसे बड़ी थी. साल 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की डिग्री ली. उन्हेंपद्म भूषण, मंगला प्रसाद पुरस्कार , साहित्य अकादेमी फेलोशिप, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.उनका निधन 11 सितंबर, 1987 को हुआ था.