देश का प्रधानमंत्री अन्नदाता ही होना चाहिए

महात्मा गांधी ने हम किसानों को भारत की आत्मा कहे थे, लेकिन आज हम देख रहे हैं कि अन्नदाताओ की समस्याओं पर केवल और केवल राजनीति करने वाले अधिकतर लोग हैं ,और हमारे समस्याओं की तरफ ध्यान देने वाले बहुत ही कम लोग  है। साथियों  स्वतंत्र भारत के पूर्व और स्वतंत्र भारत के पश्चात आज […]

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भारतीय संस्कृति : आधुनिकता एवं प्राचीनता दोनों संग लेकर चलें

[ सत्य, शिव और सुंदर के विवेचन कठिन हैं तो भी इन्हीं तीनों की त्रयी विवेचन का मूल आधार बनती है। आधुनिकता का आग्रह स्वाभाविक है। लेकिन स्वाभाविक आधुनिकता भी प्राचीनता के गर्भ से ही आती है। हमें जीवन मूल्यों का आयात नहीं करना चाहिए। यों आधुनिकता कोई जीवनमूल्य नहीं है और प्राचीनता भी नहीं। […]

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अन्नदाता राजनैतिक दलों का मोहरा बना हुआ है 

कृषि बिल  को लेकर हम सभी देख रहे है कि आज  पूरे देश में माहौल गरमाया हुआ है. विपक्ष जहां एक तरफ जोरदार ढंग से प्रदर्शन कर रहा है. तो वहीं पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के किसान भी इन बिलों को  लेकर खासे आक्रामक हैं। ध्यान से देखिए आप आज कहीं ना कहीं […]

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आधुनिक समाज बनाम शार्टकट की बुनियाद 

जैसे-जैसे हम और हमारा समाज आधुनिकीकरण से रूबरू हो रहा है, वैसे-वैसे उसके जीने की कला और सोच में भी भारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। आज के दौर का हमारा आधुनिक समाज दौड़ कर जीतने के बजाय, तोड़ कर हराने में ज्यादा विश्वास करने लगा है। आम आदमी हो या विशिष्ट, सबकी निगाहों […]

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प्रकृति पुलकित हो मुस्का रही

लेखिका -डा सरिता चन्द्रा  यौवन चढ़ा धरा पर, हरियाली अपना पैर पसार रही मंजरी से सजा तरु बदन, बरखा प्रेम रस छलका रही मनमोहक सुगंध बिखेरे पवन, नदी सुगम संगीत सुना रही तटनी झरनों की मौज देख, प्रकृति पुलकित हो मुस्का रही पुष्प पात से सजी धरा, दुल्हन सी खिलखिला रही पर्वत शिखर उतरा बादल, […]

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प्रवासी गरीब मजदूर किसान रीढ है किसी भी  देश का

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने विश्व को गहरे संकट में डाल दिया हैं  दोस्तों दूसरी तरफ भारत देश में कुचला जा रहा है भारत देश कहने का मेरा मतलब प्रवासी मजदूरों के लिए जो इंडिया के बगल में ही झुग्गी -झोपड़ी में रहता है वही सबसे बड़ी संकट है यह महामारी हैं दूसरी तरफ इंडिया […]

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चुनौतियों के बीच एक और चुनौती

आज कोविड -19 अर्थात कोरोना महामारी के चंगुल में फँसी सारी दुनिया बस एक कवायद में जुटी है कि किस तरह इस महामारी से निजात पाया जाए। इसी परिपेक्ष में पूरी दुनिया की राजनैतिक पार्टियों का आंकलन जनतंत्र ने अपने-अपने स्तर से शुरू कर दिया है कि कौन सी राजनैतिक पार्टी किस स्तर पर जनहित […]

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गजल 

बस ये दिल्लगी आज कर दो। मैं तेरा रहूँ ये एक काम कर दो।। दिल की नादानियों की ये सिला। दर बदर करने का काम कर दो।। देखो कैसी सुबह आयी फिर से। गिला सिकवा मेरे नाम कर दो ।। शौ़क था बहुत रहे साथ तुम्हारे। खुशी की मौसम बरसात कर दो। ना  हो   […]

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गंगा मैया

सुरसरि मन्दाकिनी गंगा सारे तेरे नाम पाप धोती माँ जहाँ बहती बन जाता धाम।। आरती जो कोई गाता भवसागर तर जाता। माँ गंगा के पावन तट की जन जन महिमा गाता।। भागीरथ ने कठिन तप से धरा पर तुम्हें बुलाया। जगत के कष्ट हरे माँ सबके जो मन से तुम्हें ध्याता।। तू कल्याणी पाप मोशनी […]

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आशा

अतीत को विस्मृत कर अंतर को झंकृत करें। आशा का दीप प्रज्वलित कर नव सन्धान करें।। उम्मीद की रोशनी फिर से रोशन करेगी मन। लोभ मोह जैसे विजातीय शत्रुओं का मिलकर संहार करें।। पाप की गठरी जो खुदगर्ज़ी से भारी हो गई। आओ पूण्य कर जरा इसे कुछ तो रीति करें।। बन्द है शास्त्र सारे […]

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