मिलावटी पैकेट दूध में खेल स्वास्थ्य का ग्राफ फेल:डॉक्टर कुमार मंगलम

फैजाबाद

फैजाबाद। दूध उत्पादन व्यवसाय या डेरी फार्मिंग अथवा (छोटे ) स्तर का व्यवसाय वृहद स्तर पर फैला है जिससे लोगों तक दूध आज सरलता से उपलब्ध हो रहा,दूध उत्पादन एक परंपरागत व्यवसाय है।
आजकल दीपावली की त्यौहार की जहां लोग तैयारी कर रहे हैं तो वहीं दूध के कारोबारी भी अपनी किस्मत को चमकाने की तैयारी में दूध में बड़ा खेल करने को तैयार हैं।
सावधान दिवाली के खास मौके पर दूध में खेल मिलावट करने वाले आपके स्वास्थ्य को हानि पहुंचा कर दिवाली का त्यौहार फीका कर सकते हैं जब भी इस त्यौहार का आगाज होता है तो यह खबर जरूर सुनने को मिलती है कि खाद्य विभाग द्वारा मिलावटी दूध ,खोया (मावा), मिठाइयां पकड़ी गई है क्या यह दूध का मिलावट के खेल दिवाली या कोई खास त्यौहार में ही होता या हमेशा ही हम मिलावट दूध के शिकार होते हैं।
डॉक्टर कुमार मंगलम ,डॉक्टर अश्विनी सिंह व डॉक्टर एस के गुप्ता ने दूध के सफेद उजाला के पीछे हो रहे खेल पर प्रकाश डाला आज पैकेट बंद दूध बाजार में तेजी से पांव पसार रहे हैं जो कि अधिक गाढा ,तंदुरुस्ती व ताकत ज्यादा का दूध या दूध में है हम इसका प्रचार करते पर क्या वास्तविकता में हम और आप ताजा और शुद्ध दूध प्राप्त कर रहे या नहीं इसको जानना बहुत जरूरी है यह आपके और परिवार के प्रति कितना लाभ या हानि पहुंचा रहा है आज बड़े बड़े प्रतिष्ठानों पर दूध गर्म जिसमें मोटी परत की मलाई लोग पी रहे हैं किंतु यह वास्तविक मलाई की परत है यह मिलावटी मलाई है जिसमें आपका Digestive System प्रभावित हो सकता है
क्योंकि वह आरारोट या अन्य Baking powder (chemically) हो सकता है।
अगर बात करें मोटी परत मलाई या गाढ़ा दूध की तो आपको जानकर हैरानी होगी कि वह मेलामाइन हो सकता है जिसमें तकरीबन 67% नाइट्रोजन की उपस्थिति होती है या सफेद रंग का सीमेंट जैसा पाउडर होता है जिसे पहले लोग formaldehyde नामक केमिकल को साथ मिलाकर खाने के बर्तन ,चाय के कप व टाइल्स बनाया जाता है या किन्तु आज दूध के मिलावटखोरों ने इसका प्रयोग दूध को गाढ़ा और अत्यधिक protien को बढ़ाने में करने लगे।
दूध में प्रोटीन की मात्रा को kjeldahl test से ज्ञात किया जा सकता है जब जितना नाइट्रोजन होगा दूध उतना ही प्रोटीन की मात्रा को दिखायेगा।
दुधमुंहे बच्चों को आप ज्यादा ताकत गाढ़ा दूध पिलाने के चक्कर में वही दूध लाते हैं जिसमें protien rich पाउडर दिखाई देता है फिर क्यों ना उसमें मेलामाइन की सहभागिता दूध को प्रोटीन बढ़ाने में हो मेलामाइन का ज्यादा उपयोग china में किया जो कि “चाइनीज मिल्क स्कैंडल 2008” के नाम से प्रख्यात है ।
यह मेलामाइन इतना शातिर होता है कि पानी मिले दूध में इसकी उपस्थिति मात्र से दूध गाढ़ा और नाइट्रोजन के वजह से प्रोटीन टेस्ट को चकमा दे देगी पर इसमें प्रोटीन तो ले आओगे किन्तु वासा कहाँ से लाओगे इसका भी तरीका होता है। इसमें चर्बी का अहम रोल होता है ,जिसको बाहर से इस दूध में मिलाया जाता है।
मेलामाइन नाम का ज़हर को भारत की खाद्य नियंत्रक संस्था FSSAI ने भी वर्ष 2016 में बिकने वाले दूध में लीगल कर दिया आज सूखे दूध में इन्फेक्ट फार्मूला बनाने वाली कोई भी कंपनी अपने सूखे दूध में 1mg/kg मेलामाइन मिला सकती है (liquid infant formula) जैसे अन्य खाद्य पदार्थों में 2.5 mg/kg के हिसाब मेलामाइन के प्रयोग करने की परमिशन है।
डॉक्टर कुमार मंगलम और डॉक्टर एस के गुप्ता के अनुसार मेडिकल साइंस में यह पुष्टि हो चुकी है कि मेलामाइन एक बहुत ही खतरनाक किस्म का जहर है। इसकी माइक्रोग्राम मात्रा भी किडनी की कोशिकाओं को डैमेज कर सकती है।
जिसमें किडनी फेल की चांस ज्यादा हो सकते हैं व अन्य जटिल बीमारियां हो सकती हैं। यह मेलामाइन का कण गुर्दों में जमा हो जाता है और पथरी बना देता है।
इस पथरी जैसे सफेद कण के संपर्क में आने वाली कोशिकाएं ROS नामक केमिकल बनाती हैं जो कि कैंसर पैदा कर सकती है।
आपको सोचना होगा कि आपका परिवार और दूध मुंहे बच्चे कहीं इस सफेद जहर का शिकार तो नहीं हो रहे अतः अत्यंत सोच समझकर दूध का चयन करें खासकर दुधमुंहे बच्चों के लिए दूध के पाउडर का चयन सावधानी से करें।

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