कानपुर नगर, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौधागिकी विश्वविधालय के 62 शोध सहायकों से करोडो रूपये की रिकवरी की जायेगी। उच्च न्यायालय के आदेश पर विश्वविधालय प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए विभागाध्यक्षों को आदेश भी जारी कर दिये है। शोध सहायक के रूप में कार्यरत होने के बादभी यह एकेडमिक ग्रेड पेशन का लाभ प्राप्त रहे थे। न्यायालय के आदेश के बाद इसे अवैध करार दे दिया गया है।
सीएसए में वर्ष 1987 में शोध सहायकों के पदो पर की गयी नियुक्तियों को लेकर घमासान मचा हुआ है। अपनी नियुक्तियों को वैध करार देते हुएषोध सहायकों ने सहायक प्रोफेसर के वेतन की मांग की थी। उन्हे वेतन तो दिया गया लेकिन पदनाम नही मिला। वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत शिक्षकों का आरोप है कि उनकी नियुक्ति चयन समित के बिना हुई है, इसलिए उन्हे पदनाम नही मिलना चाहिये। जनहित याचिका भी दायर कर दी गयी है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने विश्वविधालय प्रशासन को कार्यवाही के आदेश दिये है। स्थानीय निधि लेखा विभाग ने नियुक्ति को अवैध मानते हुए कार्यवाही की है। विभाग की पूर्व रिपोर्ट में यह हवाला दिया गया है कि नियुक्ति के दौरान न तो विज्ञापन जारी किया गया ओर न ही नियमों का पाल किया गया था। सहायक प्राध्यापक के वेतनमान के अलावा शोध सहायकों ने सात हजार से नौ हजार रू0 एकेडमिक ग्रेड पे भी प्राप्त किया, जबकि असिस्टेंट प्रो0 को नियमानुसार नियुक्ति के बाद ही ग्रेड पे दिया जाता है। अब शोध सहायकों से इसी धनराशि की वसूली की जायेगी। बजाया जाता है कि इसके ततहत प्रत्येक से लगभग 12 लाख से 15 लाख रू0 की वूसली की जायेगी। वर्तमान में कार्यरत शोध सहायक फिलहाल सहायक प्राध्यापक के वेतनमान पर कार्यरत है।