पूर्व सीएम को खाली करना होगा बंगला

उत्तर प्रदेश
पद से हटने के बाद सीएम भी हो जाता है आम आदमी
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अब पद से हटने के बाद सरकारी बंगलों में नहीं  रह सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगलों में रहने की अनुमति देने संबंधी कानून को निरस्त करते हुए यह आदेश जारी किया है.
अपने आदेश में कोर्ट ने साफ किया कि सार्वजनिक पद से हटने वाला व्यक्ति आम आदमी के बराबर हो जाता है. ऐसे में पद से हटने के बाद एक मुख्यमंत्री भी आम नागरिक ही हैं. हालांकि, अपने पद की वजह से वह सुरक्षा और दूसरे प्रोटोकाॅल प्राप्त करने के हकदार हैं.
जस्टिस रंजन गोगोई  व जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने कानून में किये गये संशोधन को मनमाना, पक्षपातपूर्ण और समता के सिद्धांत के विरुद्ध करार दिया. टिप्पणी की कि यूपी सरकार ने कानून में संशोधन कर जो नयी व्यवस्था दी थी, वह असंवैधानिक है. यह एक ऐसी विधायी कवायद थी, जो अप्रासंगिक थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश लोक प्रहरी संस्था की याचिका पर जारी किया है. इस संगठन ने तत्कालीन अखिलेश सरकार द्वारा उप्र मंत्रिगण (वेतन,भत्ते व विविध प्रावधान) कानून 1981 में किये गये संशोधन को चुनौती दी थी. संगठन ने विभिन्न ट्रस्टों, पत्रकारों, राजनीतिक दलों, विधानसभा अध्यक्षों, न्यायिक व सरकारी अफसरों के आवासों के आवंटन को नियमित करने संबंधी विधेयक को भी चुनौती दी थी.
कोर्ट ने िदया था सुझाव : सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2016 के  फैसले में कहा था कि यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी  बंगले आवंटित करने की परंपरा कानून गलत है. दो महीने  के भीतर उन्हें इन बंगलों को खाली कर देना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार को इन बंगलों में अनधिकृत कब्जा करके रहने वालों से इस अवधि के लिए उचित किराया वसूल करना चाहिए.
कानून िनरस्त, पर सुरक्षा और प्रोटोकाॅल के हकदार
कोर्ट के इस आदेश के बाद छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास खाली करना होगा. ये हैं नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह (अभी राजस्थान के राज्यपाल), राजनाथ सिंह (गृहमंत्री), मायावती व अखिलेश यादव.
कोर्ट ने कहा 
कोई भी सीएम पद से हटने के बाद भी सरकारी बंगले  जैसी सार्वजनिक संपत्ति पर निरंतर कब्जा करके नहीं रह सकता, क्योंकि यह देश की जनता की संपत्ति है.
प्राकृतिक संसाधन, सार्वजनिक भूमि और सरकारी बंगले, सरकारी आवास जैसी सार्वजनिक संपत्ति देश की जनता की है.
बड़ी बात : अन्य राज्यों पर भी पड़ सकता है फैसले का असर
इस फैसले का असर अन्य राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा  बनाये गये ऐसे ही नियमों पर भी पड़ सकता है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी भी की कि यदि इस कानून को अवैध घोषित किया जाता है, तो दूसरे राज्यों के ऐसे ही कानूनों को भी चुनौती दी जा सकती है. कोर्ट ने इस संबंध  में केंद्र और सभी राज्य सरकारों को इस विषय पर अपनी राय रखने का अवसर भी दिया था.

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