2025 तक निचली अदालतों में कम हो जायेंगे 322 जज

बिहार
पटना : बिहार में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के पदों पर भारी संख्या में कमी होनेवाली है. यह कमी वर्तमान जजों के रिटायरमेंट और संभावित प्रोमोशन के कारण होंगे. एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2025 तक 322 जज निचली अदालत से सेवानिवृत्त हो जायेंगे.
इसका अगले एक दशक तक केसों के निबटारे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पटना विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर विधि विभाग में शराबबंदी कानून और न्यायालयों पर पड़नेवाले दबाव के समेकित अध्ययन में यह बात सामने आयी है.
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सिविल जज के सभी खाली पदों को जून, 2017 तक भरने का आदेश दिया था. लेकिन,  आदेश के एक साल बाद भी वर्तमान में बिहार में जजों की लगभग 555 सीटें खाली हैं.
इनमें सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज की 193 सीट जबकि सब जज कोटे की 362 सीटें शामिल हैं. वर्ष 2015 में बिहार में न्यायिक अधिकारियों के कुल 1727 पदों के आलोक में 1067 जज थे. वहीं, 2017 के अंत तक कुल 1828 पदों पर 993 जज थे. फरवरी माह में कनीय कोटि के 182 न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति हुई. वहीं, मार्च 2018 में पटना उच्च न्यायालय ने एडीजे के पद पर नियुक्ति हेतु 98 अभ्यर्थियों का चयन किया. शराबबंदी कानून के आने के बाद से केसों की संख्या में इजाफा हुआ है.
उच्च न्यायालय में भी 53 में 21 जजों के पद खाली 
ऐसा नहीं है कि न्यायिक अधिकारियों के पद केवल निचली अदालतों में ही खाली हैं. पटना उच्च न्यायालय में भी जजों की भारी कमी है.
उच्च न्यायालय में 53 जजों के पद हैं, जिनमें से 21 खाली हैं. जबकि, नियमानुसार उच्च न्यायालय के किसी जज के सेवानिवृत्त होने के छह माह पहले ही उस पद को भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
वर्ष 2040 तक 12653 जजों की आवश्यकता 
पटना विवि के स्नातकोत्तर विधि विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ सलीम जावेद के अनुसार वर्ष 2016 में इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक व्यापक अध्ययन कराया गया था. इस अध्ययन के अनुसार वर्ष 2040 तक बिहार के निचली अदालतों में लंबित केसों के निबटारे के बैकलॉग को शून्य करने के लिए 12,653 जजों की आवश्यकता थी.
इसके लिए प्रतिवर्ष 475 जजों के नये पद सृजन की बात कही गयी थी. राष्ट्रीय स्तर पर 2040 तक 55,038 जजों की आवश्यकता बतायी गयी थी, जिसके लिए प्रतिवर्ष 2075 नये जजों के पद सृजन पर बल दिया गया था. लेकिन, यह रिपोर्ट आम रिपोर्टों की तरह ही बनकर रह गयी और इस पर कोई अमल नहीं हुआ.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *