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एशिया कप 2025: वसीम अकरम का जोशीला रिएक्शन, शुभमन के छक्के और अभिषेक की तूफानी शुरुआत पर सोशल मीडिया में बहस
15 सितंबर 2025 0 टिप्पणि आरव रघुवंशी

57 रन पर ऑलआउट, 13.1 ओवर में इनिंग खत्म और भारत ने पावरप्ले के अंदर चेस निपटा दिया—फिर भी चर्चा सबसे ज्यादा किसकी रही? कमेंट्री बॉक्स में वसीम अकरम का चेहरा, जो शुभमन गिल के एक शॉट पर झूम उठा। यह वह लम्हा था जिसने एकतरफा मैच को भी वायरल मोमेंट दे दिया और एशिया कप 2025 की ओपनिंग में अलग रंग भर दिया।

कमेंट्री बॉक्स में 'वाह' पल: वसीम अकरम क्यों झूम उठे

10 सितंबर 2025 को भारत-यूएई मैच के दौरान शुभमन गिल ने एक ऐसा फ्लिक खेला जो बिना ताकत लगाए सीधा स्टैंड में जा पहुंचा। कैमरा जैसे ही अकरम की तरफ गया, उनका रिएक्शन सब पर भारी पड़ गया—आवाज़ में हैरानी, आंखों में चमक और शब्दों में यह भावना कि यह शॉट टाइमिंग से पैदा हुआ है, पावर से नहीं। यही छोटा क्लिप सोशल मीडिया पर मिनटों में छा गया।

फैंस की राय बंटी हुई दिखी। कुछ ने लिखा कि एक साधारण छक्के पर इतना उछलना क्या जरूरी था, तो कई लोगों ने कहा कि फ्लिक शॉट में कलाई की कला और बैट स्पीड देखकर किसी महान फास्ट बोलर का यूं उत्साहित होना खेल भावना की मिसाल है। इस बहस ने एक और चीज साफ की—कमेंट्री अब सिर्फ विवरण नहीं, लाइव भावना भी है जो मैच की कहानी को असरदार बनाती है।

अकरम का अंदाज नया नहीं है। अपने खेल दिनों की धार, और बतौर एक्सपर्ट उनकी सटीक ऑब्जर्वेशन—दोनों मिलकर उन्हें यादगार बनाते हैं। वे अच्छे शॉट की खुलकर तारीफ करते हैं, चाहे बल्लेबाज किसी भी टीम का हो। इंडो-पाक मुकाबलों की तीखी प्रतिद्वंद्विता के बीच ऐसे पल रिश्तों में मानवीय गर्माहट लाते हैं, और यह क्लिप उसी की ताज़ा मिसाल बन गया।

शॉट की तकनीक पर आएं तो गिल का बैलेंस, हेड पोजिशन और रिस्ट-स्नैप कमाल के थे। गेंद पैड की लाइन पर थी, बैट का फेस देर से खुला, और पॉवर की जगह टाइमिंग से बॉल उड़ी। इस तरह के फ्लिक आमतौर पर स्क्वेयर-लेग या डीप मिड-विकेट के ऊपर निकलते हैं; यहां गेंद की लेंथ और एंगल ने गिल को रेंज दी, और हाथों की तेज़ी ने दूरी। यही कारण है कि कमेंट्री बॉक्स से वह अनायास निकला—वाह!

मैदान पर कहानी: कुलदीप की स्पिन, दुबे का सपोर्ट और पावरप्ले में फिनिश

कहानी की शुरुआत टॉस से हुई। भारत ने गेंदबाजी चुनी—सोच साफ थी: सतह थोड़ी धीमी है, पहले स्पिन से दबाव बनाओ और फिर छोटा लक्ष्य दौड़कर पार करो। प्लान वैसा ही चला। कुलदीप यादव ने बीच ओवरों में फ्लाइट और पेस-वेरिएशन से यूएई की बैटिंग लाइन-अप तोड़ दी—चार विकेट, और उनमें से ज्यादातर विकेट गलत शॉट्स से नहीं, मजबूरन खेलने से आए। दूसरी ओर शिवम दुबे ने नई गेंद और फिर हार्ड लेंथ से तीन विकेट झटके, जिससे पावरप्ले का मोर्चा भी भारत के नाम रहा।

यूएई 13.1 ओवर में 57 पर सिमट गया। छोटे लक्ष्य के बावजूद भारत ने जल्दबाजी की जगह प्रोसेस पकड़ा—गैप ढूंढो, स्ट्राइक रोटेट करो, और लूज़ बॉल पर चौका-छक्का। ओपनिंग में अभिषेक शर्मा का इरादा साफ था; पहले ही ओवर में उन्होंने फील्डिंग सर्कल के ऊपर से शॉट्स निकाले। दूसरी तरफ गिल ने 9 गेंद में नाबाद 20 बनाए—दो चौके, एक छक्का—और वही फ्लिक इस मैच का सिग्नेचर बन गया।

यह चेस भारत की टी20आई इतिहास के तेज़ चेज़ों में गिना जाएगा। जब लक्ष्य 60 से कम हो और पावरप्ले में ही मैच खत्म हो जाए, तो टीम को सिर्फ दो प्वाइंट नहीं, नेट रन रेट का बड़ा बोनस भी मिलता है—टूर्नामेंट की आगे की तस्वीर में यही बूस्ट काम आता है।

पोस्ट-मैच में कप्तान सूर्यकुमार यादव ने बताया कि पहले गेंदबाजी का फैसला पिच पढ़कर किया गया था। सतह धीमी थी, इसलिए स्पिन की भूमिका बड़ी दिख रही थी। टीम ने फील्डिंग के दौरान एनर्जी हाई रखी और कैचिंग-ग्राउंडिंग में भी लय नहीं टूटी। कई खिलाड़ी हाल में इसी तरह की कंडीशंस में खेलकर आए थे, इसलिए एडॉप्ट करने में वक्त नहीं लगा।

अभिषेक शर्मा की फॉर्म भारत के लिए बड़ी पॉजिटिव रही है। वे पावरप्ले में फील्डिंग रिस्ट्रिक्शंस का फायदा उठा रहे हैं—कट-पुल और इनसाइड-आउट दोनों खेलने की क्षमता उन्हें अनप्रीडिक्टेबल बनाती है। गिल के साथ उनकी लिफ्ट-ऑफ पार्टनरशिप ने दिखाया कि लेफ्ट-राइट कॉम्बो से गेंदबाजों की लाइन-लेंथ बिखरती है। इस टेम्पलेट से भारत शुरुआती 6 ओवर में गेम दूर ले जा सकता है।

स्पिनर कुलदीप का दिन क्यों बना? वजहें तीन—पहला, टर्न के साथ- साथ पेस में बड़ा फर्क; दूसरा, बल्लेबाज को ऊपर-नीचे उड़ान से कंफ्यूज करना; तीसरा, फील्ड सेटिंग ऐसी कि सिंगल भी दबाव में मिले। ऐसी पिच पर एक-एक डॉट गेंद का असर अगले शॉट पर दिखता है, और यहीं पर गलतियां निकलती हैं।

दुबे की गेंदबाजी ने भी दिल जीता। वे आम तौर पर अपने बैटिंग इम्पैक्ट के लिए चर्चा में रहते हैं, लेकिन यहां उनका रोल नई गेंद से ले कर मिड-ओवर्स तक फैला रहा—हिट-द-डेक लेंथ, स्टम्प-टू-स्टम्प लाइन्स और हल्का सा कट, जिससे बैट पर गेंद साफ नहीं आई।

मैच का दूसरा बड़ा एंगल सोशल मीडिया रहा। अकरम के रिएक्शन पर कुछ ने कहा—सिर्फ एक छक्का था; वहीं दूसरी आवाज़—कमेंट्री का मजा यही है, जब कोई महान खिलाड़ी किसी शॉट की बारीकी पर तुरंत रिएक्ट करता है। यह बहस बताती है कि लाइव स्पोर्ट अब मल्टी-स्क्रीन अनुभव है—कमेंट्री, हाइलाइट्स, मीम्स और माइक्रो-क्लिप्स मिलकर एक मैच को लंबा जीवन देते हैं।

आगे क्या? अगला मुकाबला पाकिस्तान से—और यह जीत भारत के ड्रेसिंग रूम को दो चीजें दे गई है: कॉन्फिडेंस और स्पष्टता। कॉन्फिडेंस इसलिए कि गेंदबाजी यूनिट अलग-अलग तरह की पिच पर भी कंट्रोल दिखा रही है; स्पष्टता इसलिए कि टॉप ऑर्डर का एटैक-मोड और स्पिन-लेड प्लान काम कर रहा है। बड़े मैच में शायद टीम मैनेजमेंट चाहेगा कि मिडल ऑर्डर को भी कुछ समय मिले, ताकि बैक-एंड पर भी लय बन सके।

टूर्नामेंट की बड़ी तस्वीर में यह जीत ग्रुप स्टेज में शुरुआती दबदबा बनाती है। छोटे लक्ष्य वाले मैच में भी भारत ने प्रोफेशनल अप्रोच रखी—नो-रिश्क ढील, क्लिनिकल फिनिश। और हां, वह एक फ्लिक—जिसने स्कोरबोर्ड पर सिर्फ छह जोड़े, लेकिन कमेंट्री बॉक्स में जो खुशी भर दी, उसने इस एकतरफा रात को भी यादगार बना दिया।