दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में बन रहा गहरा निम्न दबाव क्षेत्र अब चक्रवाती तूफान 'मोंथा' में बदल चुका है — और यह अगले 48 घंटों में भारत के तटीय इलाकों को जोरदार झटका देने वाला है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 26 अक्टूबर 2025 को जारी बुलेटिन में चेतावनी दी है कि यह तूफान 28 अक्टूबर की शाम या रात को मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच, काकीनाडा के पास तट से टकराएगा। हवाओं की गति 90-110 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है — यानी एक गंभीर चक्रवात। और ये सिर्फ तटीय राज्यों की बात नहीं। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली-एनसीआर में भी बारिश का खतरा बढ़ गया है। छठ पूजा के दिनों में बारिश होने की संभावना अब एक वास्तविक चिंता बन गई है।
ओडिशा और आंध्र प्रदेश: आपदा तैयारियाँ शुरू
ओडिशा सरकार ने रविवार ही अपनी आपदा प्रतिक्रिया शुरू कर दी। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 15 जिलों में अलर्ट जारी किया, जिनमें मलकांगिरी, कोरापुट, गंजाम और कालाहांडी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को 'रेड अलर्ट' घोषित किया गया। 128 NDRF टीमें तैनात कर दी गई हैं, और सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गईं। 30 अक्टूबर तक सभी सरकारी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र बंद रहेंगे — ये फैसला सिर्फ बच्चों की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि घरों के आसपास बाढ़ का खतरा न हो।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने अपने जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को सीधे निर्देश दिए: "किसी भी बात को हल्के में मत लो।" उन्होंने एक आपात बैठक बुलाई, जहाँ राहत शिविरों, आपातकालीन बिजली व्यवस्था और जल निकासी की तैयारियों की समीक्षा की गई। मछुआरों को 26 से 29 अक्टूबर तक समुद्र में जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। कोई नौका, कोई जहाज — कुछ भी नहीं। इस बार लोगों ने चेतावनी को गंभीरता से लिया है।
बिहार, यूपी और दिल्ली: बारिश का खतरा बढ़ रहा है
तूफान का असर सिर्फ तट तक सीमित नहीं होगा। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, तूफान के लैंडफॉल के बाद — यानी 29 से 31 अक्टूबर तक — पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है। बिहार के सभी जिले, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से और छत्तीसगढ़ में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गंगा के तटीय क्षेत्रों में जल स्तर तेजी से बढ़ सकता है।
दिल्ली-एनसीआर के लिए भी ये दिन अजीब हो सकते हैं। 26 अक्टूबर को मौसम साफ रहेगा, लेकिन शाम को तापमान 3-4 डिग्री गिर जाएगा। 27 और 28 अक्टूबर को बारिश की संभावना 60% है — और ये वक्त छठ पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कई परिवार नदी किनारे छठ पूजा के लिए जाते हैं। अगर बारिश हो गई, तो यह एक धार्मिक और सामाजिक झटका होगा। अधिकारियों ने अभी तक कोई बदलाव नहीं बताया है, लेकिन घरों में लोग पहले से ही छत पर बरसात के लिए तैयार हो रहे हैं।
उत्तर की ओर: बर्फबारी ने भी शुरू कर दी
दक्षिण में तूफान बन रहा है, तो उत्तर में बर्फबारी शुरू हो गई है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में इस साल समय से पहले ही बर्फ पड़ रही है। मनाली में अगले 72 घंटों में तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। लाहौल-स्पीति में बर्फ के ढेर रास्ते बंद कर रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में दो अलग-अलग दबाव प्रणालियाँ एक साथ बन रही हैं — ये असामान्य है। ऐसा दो साल में एक बार ही होता है। और इसका मतलब है कि ये तूफान अधिक तीव्र और अधिक लंबे समय तक रह सकता है।
क्या अगला कदम?
अब तक की सबसे बड़ी चुनौती नहीं तूफान है — बल्कि लोगों की तैयारी है। ओडिशा और आंध्र प्रदेश ने अच्छा काम किया है। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश के गाँवों में अभी भी बहुत से लोग अपने घरों में बैठे हैं, जहाँ नहरें बाढ़ के लिए तैयार नहीं हैं। अगले 72 घंटे में राज्य सरकारों को राहत शिविरों की संख्या बढ़ानी होगी, और खाने-पीने की व्यवस्था तेज करनी होगी।
मौसम विभाग का कहना है कि अगले 12 घंटों में तूफान का रास्ता और भी स्पष्ट हो जाएगा। अगर यह तेजी से आगे बढ़ता है, तो तटीय इलाकों में नुकसान कम होगा। अगर धीमा हो गया, तो बारिश और लंबे समय तक चलने से नुकसान बढ़ जाएगा। इसलिए अब तक की सबसे बड़ी जानकारी यही है — तैयार रहें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चक्रवात 'मोंथा' किस तरह दिल्ली और यूपी को प्रभावित करेगा?
तूफान के लैंडफॉल के बाद, उत्तरी भारत में उत्तर-पूर्वी हवाएँ नमी लाएंगी, जिससे 29-31 अक्टूबर तक बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भारी बारिश हो सकती है। दिल्ली में 27-28 अक्टूबर को बारिश की संभावना 60% है, जो छठ पूजा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
ओडिशा में कितने जिलों में 'रेड अलर्ट' जारी है?
ओडिशा में 15 जिलों में चेतावनी जारी है, जिनमें मलकांगिरी, कोरापुट, गंजाम, कालाहांडी, नबरंगपुर, रायगढ़ा, गजपति और कंधमाल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को 'रेड अलर्ट' घोषित किया गया है। इन जिलों में सभी सरकारी कार्यालय बंद हैं।
मछुआरों को तूफान के दौरान समुद्र में क्यों नहीं जाने को कहा गया है?
हवाओं की गति 90-110 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है, जिससे समुद्र में तहस-नहस हो जाएगा। छोटी नौकाओं के लिए यह जानलेवा है। इसलिए 26 से 29 अक्टूबर तक पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। ओडिशा और आंध्र प्रदेश ने मछुआरों को राहत राशि भी घोषित की है।
छठ पूजा पर इस तूफान का क्या प्रभाव पड़ सकता है?
27-28 अक्टूबर को दिल्ली, बिहार और यूपी में बारिश की संभावना है, जो छठ पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लोग नदी किनारे जाते हैं, और बारिश से इस धार्मिक अनुष्ठान को बाधित किया जा सकता है। अधिकारियों ने अभी कोई विकल्प नहीं बताया है।
क्या यह तूफान भारत के इतिहास में अभूतपूर्व है?
नहीं, लेकिन यह असामान्य है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में दो अलग-अलग दबाव प्रणालियाँ एक साथ बनना दो साल में एक बार ही होता है। इसके कारण तूफान अधिक तीव्र और लंबे समय तक चल सकता है — जो बाढ़ और नुकसान को बढ़ाता है।
अगले कितने दिनों तक चेतावनी जारी रहेगी?
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 72 घंटों के लिए चेतावनी जारी की है। तूफान का रास्ता और तीव्रता 27 अक्टूबर तक स्पष्ट हो जाएगी। लोगों को अपडेट्स के लिए IMD की वेबसाइट और राज्य सरकारों के अधिसूचनाओं पर नजर रखनी चाहिए।