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अब 1 साल बाद नौकरी छोड़ने पर मिलेगी ग्रेच्युटी, टैक्स-फ्री लिमिट 20 लाख तक
24 नवंबर 2025 0 टिप्पणि आरव रघुवंशी

भारत सरकार ने 21 नवंबर 2023 से लागू हुए चार नए श्रम कोड के तहत ग्रेच्युटी के नियमों में ऐसा बड़ा बदलाव किया है, जिससे लाखों कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा में क्रांति आ गई है। भारत सरकार ने अब कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए पांच साल की बजाय केवल एक साल की लगातार सेवा की शर्त रख दी है। यह बदलाव पहले के पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के नियमों को पूरी तरह बदल देता है, जिसमें पांच साल की सेवा अनिवार्य थी — सिवाय मृत्यु या दिव्यांगता के मामलों के। अब जब भी कोई कर्मचारी एक साल पूरा कर लेता है, चाहे वह फिक्स्ड-टर्म पर हो या गिग वर्कर, उसे ग्रेच्युटी मिलने लगी है।

ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट होगी? समझें आसान फॉर्मूला

ग्रेच्युटी की गणना अभी भी पुराने फॉर्मूले से होगी: ग्रेच्युटी = (आखिरी सैलरी × 15 × सेवा के साल) ÷ 26। यहां ‘आखिरी सैलरी’ में बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (DA) शामिल होते हैं। अगर कोई कर्मचारी आखिरी साल में छह महीने से ज्यादा काम करता है, तो उसे पूरा साल मान लिया जाता है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी ने नवंबर 2025 में 70,000 रुपये बेसिक सैलरी की नौकरी शुरू की और नवंबर 2026 में इस्तीफा दे दिया, तो उसे 70,000 × 15 × 1 ÷ 26 = 40,384 रुपये ग्रेच्युटी मिलेगी। अगर कोई पांच साल काम करता है और उसकी अंतिम सैलरी 1 लाख रुपये है, तो उसे 1,00,000 × 15 × 5 ÷ 26 = 2,88,461 रुपये मिलेंगे।

टैक्स-फ्री लिमिट दोगुनी, देरी पर ब्याज और जुर्माना

एक और बड़ी खबर — भारत सरकार ने टैक्स-फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी है। इसका मतलब है कि अब जब तक ग्रेच्युटी 20 लाख रुपये तक है, उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ी राहत है, जिनकी ग्रेच्युटी पहले टैक्स बन जाती थी।

नियोक्ता को ग्रेच्युटी देने का समय भी स्पष्ट है — 30 दिनों के अंदर। अगर देरी हुई, तो 10% सालाना ब्याज लगेगा। और अगर नियोक्ता जानबूझकर भुगतान नहीं करता, तो उसे दोगुना कंपेंसेशन भी देना पड़ सकता है। यह सख्ती उन कंपनियों के खिलाफ है, जो पहले भी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी टालते थे।

फिक्स्ड-टर्म और गिग वर्कर्स के लिए बड़ी बदली

इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों (FTEs) और गिग वर्कर्स को हो रहा है। पहले ये लोग भले ही एक साल या दो साल के लिए काम कर लेते थे, लेकिन ग्रेच्युटी के लिए उन्हें बस बहाना बनाया जाता था। अब वो भी इस लाभ के हकदार हैं।

एक रिसर्च फर्म के अनुसार, भारत में लगभग 2.3 करोड़ फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी हैं — ज्यादातर टेक्नोलॉजी, रिटेल और एजुकेशन सेक्टर में। अब उनमें से हर कोई जो एक साल पूरा कर ले, उसे ग्रेच्युटी मिलेगी। यह बदलाव सिर्फ पैसे का नहीं, बल्कि सम्मान का संदेश है — कि छोटी अवधि की सेवा भी महत्वपूर्ण है।

प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर दोनों में लागू

यह नया नियम दोनों सेक्टर्स — प्राइवेट और पब्लिक — में लागू होता है। यह पहली बार है जब एक ऐसा नियम बना है जो सभी कर्मचारियों के लिए एक जैसा है। पहले गवर्नमेंट जॉब्स में ग्रेच्युटी ज्यादा सुरक्षित थी, जबकि प्राइवेट सेक्टर में यह एक विवादास्पद विषय रहा। अब वह अंतर खत्म हो गया है।

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बदलाव भारत के कामकाजी संस्कृति में एक नया मोड़ है। पहले कर्मचारी एक कंपनी में 10-15 साल रहते थे, अब वो अक्सर 1-3 साल के लिए ही रहते हैं। यह नियम उस नए वास्तविकता के साथ खुलकर आता है।

क्या अभी भी कोई छूट है?

क्या अभी भी कोई छूट है?

हां — अगर कर्मचारी की नौकरी बर्खास्त कर दी जाती है तो ग्रेच्युटी नहीं मिलती। लेकिन अगर वह इस्तीफा देता है, या नौकरी छोड़ देता है, तो बिना किसी शर्त के मिलेगी। इसके अलावा, अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को ग्रेच्युटी पूरी राशि मिलेगी।

अगला कदम: नियोक्ताओं को अपडेट करना होगा

अब जिन कंपनियों ने अभी तक ग्रेच्युटी को एक ‘लंबी सेवा’ का बोनस समझा है, उन्हें अपने HR पॉलिसी बदलनी होंगी। अगर वो नहीं करते, तो कर्मचारी श्रम विभाग में शिकायत कर सकता है। और श्रम विभाग अब बहुत सख्त है — ऑनलाइन कंप्लेंट सिस्टम लागू हो चुका है।

इस बदलाव का सबसे बड़ा असर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में होगा। जहां लोग अक्सर एक साल के लिए शहर आते हैं, काम करते हैं, और वापस जाते हैं — अब उनके लिए एक आर्थिक बचत का आधार बन गया है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या ग्रेच्युटी सिर्फ स्थायी कर्मचारियों को ही मिलती है?

नहीं, अब ग्रेच्युटी सिर्फ स्थायी कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है। फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी, गिग वर्कर्स, और अस्थायी नियुक्ति वाले सभी लोग एक साल की सेवा पूरी करने के बाद इसके हकदार हैं। यह एक बड़ा बदलाव है, जिससे श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा में बहुत बड़ी बढ़ोतरी हुई है।

अगर मैंने एक साल काम किया और अचानक नौकरी छोड़ दी, तो क्या मुझे ग्रेच्युटी मिलेगी?

हां, अगर आपने लगातार एक साल काम किया है और इस्तीफा दिया है, तो आपको ग्रेच्युटी मिलेगी। लेकिन अगर आपको बर्खास्त कर दिया गया है, तो नहीं। यह एक अहम अंतर है — ग्रेच्युटी तब मिलती है जब कर्मचारी खुद जाता है, न कि जब उसे निकाल दिया जाता है।

ग्रेच्युटी की गणना में बोनस और OT शामिल होते हैं?

नहीं, ग्रेच्युटी की गणना सिर्फ बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) पर आधारित है। बोनस, ओवरटाइम, और अन्य भत्ते शामिल नहीं होते। यह एक स्पष्ट नियम है ताकि गणना नियमित और न्यायसंगत रहे।

क्या ग्रेच्युटी पेंशन या PF के साथ जुड़ी है?

नहीं, ग्रेच्युटी एक अलग बेनिफिट है। यह PF या पेंशन से अलग है। PF आपकी अपनी और नियोक्ता की जमा राशि है, जबकि ग्रेच्युटी नियोक्ता द्वारा दी जाने वाली एकमुश्त राशि है। दोनों का टैक्स इंपैक्ट अलग है।

अगर मैंने 1.5 साल काम किया, तो क्या मुझे पूरे 1.5 साल के हिसाब से ग्रेच्युटी मिलेगी?

नहीं, ग्रेच्युटी की गणना पूरे सालों पर ही होती है। 1.5 साल काम करने पर आपको सिर्फ 1 साल की ग्रेच्युटी मिलेगी। अगर आपने 1 साल और 6 महीने से ज्यादा काम किया, तो उसे अगले पूरे साल में राउंड अप कर दिया जाता है।

क्या यह नियम अभी से पहले की सेवा पर भी लागू होगा?

नहीं, यह नियम केवल 21 नवंबर 2023 के बाद की सेवा पर लागू होता है। अगर आपने 2022 में नौकरी शुरू की थी, तो उस समय की सेवा के लिए पुराने नियम लागू रहेंगे। नया नियम बस भविष्य के लिए है।