*प्रबंधक व सह प्रबंधक ने बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर, हर तरफ हो रही चर्चा*

बाराबंकी
*जिला संवाददाता विनय सिंह पवांर*
  बाराबंकी जनपद अंतर्गत सिद्धौर ब्लाक के ग्राम पंचायत सेमरा वां में स्थित सत्गुर इंटर कॉलेज सेम़रावां बाराबंकी एक आदर्श विद्यालय के रूप में प्राथमिक शिक्षा की अलख जगा रहा है। विद्यालय में प्रवेश करते ही पठन- पाठन की समुचित व्यवस्था दृष्टिगोचर होती है। बाहर से ही विद्यालय देखकर आप अचंभित हो जावेंगे की एक गांव का सरकारी विद्द्यालय क्या ऐसे भी हो सकता है।
बता दे की कुछ साल पूर्व इस विद्यालय की दशा काफी खराब थी, जिसको लेकर प्रबंधक संतोष कुमार शुक्ल “शास्त्री” व सह प्रबंधक आशुतोष तिवारी “प्रधान” काफी चिंतित रहते थे। बाद में इनको सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा सुनहरा अवसर मिला तो इन्होंने विद्यालय को चमकाकर खूबसूरत मंदिर का रूप दे दिया।
यहाँ पर कक्षा शिक्षण के लिये अध्यापकों के पास दैनिक पाठयोजना होती है। शिक्षण को सुनियोजित ढंग से संचालित रखने के लिये प्रधानाध्यापक विजय कुमार पाठक  ने मासिक एवं वार्षिक कार्य योजना बना रखी है। शिक्षकों द्वारा कक्षा कक्ष में गतिविधि आधारित शिक्षण रोचक तरीके से किया जाता है। बच्चों के  सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालय में खेल सामग्री एवं आकर्षक खेल का मैदान भी है। प्रायः प्रतियोगिताओं का आयोजन विद्यालय में किया जाता है। प्रातःकालीन सभा मे नित्य ही बच्चों को दैनिक समाचार तथा एक प्रेरक प्रसंग से रूबरू करवाया जाता है। इस विद्द्यालय में जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार वर्मा विधायक सहित अनेक अधिकारी अब तक आ चुके है जिन्होंने इसकी खूब प्रसंशा की।यहाँ का भौतिक परिवेश बहुत ही आकर्षक है। मुख्य गेट से लेकर कक्षा कक्ष  तक की व्यवस्था सहज ही आकर्षित करती है। सभी कक्षों में डेस्क बेंच , लेक्चर स्टैंड की व्यवस्था है। विद्यालय में पुष्पवाटिका के साथ साथ किचेन यार्ड भी बनाया गया है। विद्यालय परिवेश में हर तरफ स्वच्छता दिखाई पड़ती है। सूखे एवं गीले कचरे के निपटान के लिये डस्टबिन की व्यवस्था है। यहाँ पर उचित जल निकासी का भी प्रबंध है।
 बालक एवं बालिकाओं हेतु अलग अलग प्रसाधनों की समुचित व्यवस्था है। स्वच्छ पेयजल हेतु विद्यालय परिवार एवं प्रधान ओम तिवारी द्वारा की गई है। विद्यालय की व्यवस्था को आकर्षक बनाने में ग्रामप्रधान ओम तिवारी और यहाँ तैनात प्रधानाचार्य विजय कुमार पाठक का सराहनीय योगदान है। प्रधान ने भैतिक परिवेश को सुधारने में अपने निजी धन को भी लगाया है। कुल मिलाकर विद्यालय के अंदर और बाहर से देखने में किसी रंग बिरंगे और सजे हुए भव्य मंदिर की तरह दिखता है जहाँ से वापस आने का जल्दी किसी का मन नही करता है।

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