अमेठी विजय कुमार सिंह
मुसाफिरखाना ,अमेठी । मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र के भनौली गॉव निवासी सैयद इकबाल हैदर मजहब की बंदिशों से दूर बेसहारों के लिए सहारा बन चुके हैं। इक़बाल लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करवाते हैं तो वही बीमार गरीबों के इलाज के लिए मददगार साबित होते हैं। सर्दियों में सड़कों पर ठिठुर रहे असहाय लोगों को कंबल देकर गर्मी पहुंचाते हैं तो गर्मी के महीने में प्याऊ लगाकर राहगीरों की प्यास बुझाते हैं। बड़े मंगल पर हनुमान भक्तों को शरबत पिलाना हो या ताजिया जुलूस में सिन्नी बांटना, इकबाल हैदर की इस भावना ने उन्हें सबकी आँखों का तारा बना दिया है।
मुसाफिरखाना कस्बे से सटे मुस्लिम बाहुल्य गॉव में जन्मे समाजसेवी इक़बाल हैदर को समाजसेवा करने का जुनून अविस्मरणीय है।विदेश की नौकरी छोड़ समाजसेवा में जुटे सैयद इकबाल हैदर सउदी में नौकरी करते थे। उस दौरान इनकी मां आसपास के गरीबों को इलाज के लिए लखनऊ स्थित अस्पतालों में अपने पैसे से इलाज कराने ले जाती रही। मां से मिली प्रेरणा से इक़बाल ने 2003 में सउदी की नौकरी छोड़ कर अपने गॉव आ गए।घर आते समय लखनऊ से रास्ते में हैदरगढ़ में उन्हें पिंकी नाम की महिला गश खाकर गिरी मिली तो उसे डाक्टर के पास ले गए। डाक्टर ने जवाब दिया तो उसे मेडिकल कालेज लखनऊ जे जाकर इलाज कराया। उसके बाद तो परेशान लोगों का इलाज कराना उनकी आदत में शुमार हो गया।बस् यही से शुरू हुआ इक़बाल हैदर की जिंदगी में इंसान की सेवा का जुनून ।उनके इसी जूनून ने उन्हें समाजसेवी का जो तमगा दिया अब वे इसे ही अपनी जिंदगी का असली मकसद बना चुके है।उनके जेहन से जाति धर्म मजहब की सारी बंदिशें टूट चुकी है ।जूनून है तो सिर्फ गरीबों मजलूमों की सेवा करने का ।जिनका कोई वारिश नही उनका इक़बाल उनके साथ साये की तरह खड़े होकर जी जान से सेवा को ही अपना धर्म समझते है ।स्टेशन पर मिली महिला की वर्षो सेवा के बाद उसकी मृत्यु होने पर हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कर तेरहवीं तक करने वाले इक़बाल अब तक सैकड़ो की संख्या में लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कर चुके है ।दशकों पूर्व से शुरू उनकी सेवा भावना से समाज उनका कायल हो चूका है ।