हर तीस साल बाद निर्वाचन क्षेत्रों का होता है परिसीमन
                
                
                  पटना : वक्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है. इससे लोकसभा चुनाव भी अछूता नहीं है. यह वक्त की ही बदली है कि पहली लोकसभा में जिस पटना के नाम से चार-चार सीटें थीं आज केवल दो ही रह गयी हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र पहले नंबर पर दर्ज था, आज यह सीट 31वें नंबर पर पहुंच गयी है. पाटलिपुत्र से पहले नंबर का दर्जा भी उस वाल्मीकीनगर ने छीना है जिसका पहले चुनाव में अस्तित्व तक नहीं था.लोकसभा के लिए पहली बार 1952 में वोट डाले गये थे. उस समय बिहार झारखंड एक ही थे.
                  
                  
                
                    पिछली बार 2014 में चुनाव 
                    
                    
                
                      हुआ. हर तीस साल बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन ही नहीं बदला, उनका नाम भी बदला है. सच कहे तो वोटरों को उनके अपने शहर के नाम से लोकसभा की सीट मिली हैं.
                      
                      
                  
                        1952 के बिहार में सीट तो 44 थीं लेकिन 16 शहरों के नाम से ही जानी जाती थी. आज सारण एक लोकसभा क्षेत्र है. पहले सारण नार्थ, सारण सेंट्रल, सारण ईस्ट, सारण साउथ, सारण कम छपरा पांच सीट थीं. इसी तरह मुजफ्फरपुर के नाम से पांच, पटना – दरभंगा के नाम से चार -चार तथा मुंगेर और गया के नाम से तीन- तीन लोकसभा क्षेत्र जाने जाते थे. संथाल, पलामू, अौर समस्तीपुर यही तीन शहर एेसे थे जिनके नाम से मात्र एक -एक लोकसभा क्षेत्र का नाम था.
                        
                        
                    
                          इन दस सीटों ने देखा हर चुनाव
                        
                        
                          बिहार में वर्तमान में 40 लोकसभा सीटें हैं 
                        
                        
                          पटना, गया, सारण, चंपारण, मुजफ़्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मुंगेर, भागलपुर और पूर्णिया यही दस सीट हैं जिनका नाम पहली लोकसभा से अब तक के इतिहास में दर्ज है.
                        
                        
                          10 साल पहले बनीं दस नयी सीटें
                        
                        
                          बिहार में 2009 का लोस चुनाव नये परिसीमन में हुआ था. बिहार में 2009 का लोकसभा चुनाव नये परिसीमन में हुआ था. इस अंतिम परिसीमन ने बड़ा बदलाव किया. दस संसदीय क्षेत्रों का अस्तित्व ही खत्म हो गया. दस नये क्षेत्र अस्तित्व में आए. पटना , बाढ़, बलिया, सहरसा, बिक्रमगंज, बेतिया, बगहा, मोतिहारी, छपरा और रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र समाप्त हो गये.
                        
                        
                          …वहीं पटना साहिब, पाटलिपुत्र, सुपौल, सारण, उजियारपुर, वाल्मीकिनगर, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, काराकट और जमुई संसदीय क्षेत्रों का उदय हुआ.
                          
                          
                      
                            जमुई – पाटलिपुत्र को दोबारा मिली पहचान
                          
                          
                            वीआइपी सीट की लिस्ट में शामिल जमुई और पाटलिपुत्र ऐसी दो सीटें है जो दोबारा अस्तित्व में आईं. 1952 में पाटलिपुत्र लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र हुआ करता था. बाद में नये परिसीमन ने इसका अस्तित्व खत्म कर दिया. 2009 के लोक सभा चुनाव से पहले हुए परिसीमन ने इसको दोबारा अस्तित्व दे दिया. जमुई को भी लंबे समय के बाद दोबारा लोकसभा क्षेत्र के रूप में पहचान मिली. एक जमाने की इस सुरक्षित सीट को मुंगेर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बना दिया गया था.
                          
                          
                        
