मुझे लिखना भी आता है

कविता लेख(कहानी)

मुझे हंसना भी आता है
मुझे रोना भी आता है
अगर रूठे कोई मुझसे
मनाना मुझको आता है..।।
कोई समझे मुझे अपना
तो जीवन कर दूं मैं अर्पण
बने यदि प्रेम का रिश्ता
निभाना मुझको आता है..।।
सफर कितना भी लंबा हो
सहज कर देंगे मिलकर हम
अगर हो साथ में अपना
मुझे चलना भी आता है..।।
अगर पतझड़ हो जीवन में
दुःखों की बदरी छा जाए
नहीं होंगे कदम डगमग
मुझे सहना भी आता है..।।
तुम्हारे रूप और सौंदर्य को
परिभाषित कर दूं मैं
अगर मानों यकीं मेरा
मुझे लिखना भी आता है..।।
मुझे लिखना भी आता है..।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *