धर्म की रक्षा के लिए -शास्त्र- शस्त्र आवश्यक: पं देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
1 min readकथा व्यास पर विराजमान श्री देवकीनंदन ठाकुर जी IMG-2019 hod
बड़े भाग्यशाली वो लोग जो भगवान के उत्सवों में सम्मिलित होते है।
पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारबिंद से राम मंदिर के लिए संकल्पित श्री राम कथा के पंचम दिवस पर हजारों की संख्या में भक्तों ने महाराज श्री के श्रीमुख से कथा का श्रवण करते हुए शास्त्रों व शस्त्र को धर्म की रक्षा के आवश्यक बताया एवं नव पीढ़ी को अध्ययन और कर्तव्य के प्रति जागरूक किया।
संवाददाता:हरिओम द्विवेदी:कानपुर;- रविवार को मोतीझील ग्राउंड में श्री राम कथा के पंचम दिवस की शुरुआत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।
पं. देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए सर्वप्रथम कथा पंडाल में बैठे सभी भक्तों को ” सीता राम राधे श्याम जय जय सीता राम ” भजन श्रवण कराया।श्री महाराज जी ने आगे कहा कि कई बार ऐसा लगता है अधिक सहनशील नहीं होना चाहिए जीवन में। हम अपने देवी देवता के विषय में अगर सोचे तो ऐसा कोई देवी देवता नहीं मिलेगा जिसके हाथ में कोई शत्र न हो। भगवान शिव के एक हाथ माला है तो दूसरे हाथ में त्रिशूल भी है इसका मतलब है हमारे देवी देवता यह इशारा भी करते है आप अपने समाज की अपने धर्म की रक्षा अगर करना चाहते है तो आपको शास्त्र- शस्त्र दोनों की आवश्यकता पड़ेगी।
महाराज जी ने कहा की जितनी मेहनत आप दो चीजों में करते हो “खाने में” और “कमाने में” उतनी तत्वपर्ता और मेहनत ईमानदारी से धर्म को आगे बढ़ाने में कर दी होती तो आज हमें राम मंदिर के निर्माण की बात छोड़ो कृष्ण मंदिर भी बन गया होता मथुरा में, भगवान शिव का मंदिर भी बन गया होता काशी में। हम लोग ये सोचते है हमारे आगे कोई चले और हम पीछे चले ये सोचते थे दस साल पहले आज तो ये सोचते की अब कोई एक ही कर ले और हम बैठे रहे। हमारे यहाँ शास्त्र- शस्त्र दोनों की आवश्यकता है, शास्त्र कोई प्रेम से माने।
महाराज श्री ने राम कथा का उदहारण देते हुए कहा कि रावण ने जैसा अपराध किया शायद कोई करें सीता जी का हरण करके ले गया। तो राम जी शास्त्र- शस्त्र दोनों का प्रयोग किया। राम जी ने शास्त्र का प्रयोग किया। बोलो किनको भेजा सबसे पहले लंका। जब हनुमान जी जा रहे थे सीता जी का पता करने राम जी ने कहा अपने पीछे बुला कर हमें पता है की ये काम तुम्ही करोगे। सबके सामने कहना ठीक नहीं। हनुमान जी कौन है। ज्ञानियों में अग्र, श्री हनुमान जी महाराज ने क्या नहीं किया, हनुमान जी के साथ वहां लोगो ने एक छोटी से रस्सी से बांध दिया बड़ी चतुरता के साथ काम किया। हनुमान जी कहते तो अपनी पूछ हिलाकर ही सबकी हटा देते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया इसी को कहते है शास्त्र।
साथ ही साथ आज प्रातः महाराज श्री एसजीएम इंटरनेशनल स्कूल इंदिरा नगर, कानपुर में भी उन्होंने वहां पर स्वधर्म का बोध ज्ञान गंगा में स्नान हेतु दिए गए प्रवचन में प्रस्तुति कियाएवं महाराज जी के द्वारा सरस्वती प्रतिमा पर पुष्प अर्चन एवं संस्था के संस्थापक स्वर्गीय श्री राम नारायण अग्रवाल के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित करके किया गया, महाराज श्री ने उपस्थित सभी छात्र छात्राओं को उद्बोधन मे कहा धर्म का वास्तविक अर्थ है कर्तव्य अतः हम सबको अपने माता-पिता, परिवार,समाज,और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिए छात्रों का परम धर्म है अध्ययन तथा और जो कुछ भी बनेंगे वह किसी परिस्थिति धर्म अथवा परिवार का परिणाम वरन् स्वयं आपके चयन का परिणाम होगा इसलिए हमें अपनी सोच सकारात्मक रखना चाहिए।प्रवचन के उपरांत विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा टीपों द्वारा थाल सजाकर आरती की गई।आज कथा पंडाल में सिद्धनाथ आश्रम के बालयोगी श्री अरुण चैतन्य जी महाराज, पनकी महंत श्री कृष्ण दास जी महाराज, श्री जनार्दन दास जी महाराज, श्री आदित्य ब्रह्मचारी जी महाराज और हमारे बीच विधायक महेश त्रिवेदी जी एवं हिन्दू युवा वाहिनी 12 संगठन और उनकी पूरी टीम , हिन्दू जागरण मंच, कथा का आनंद प्राप्त करने के लिए साथ ही साथ महाराज श्री का आशीर्वाद एवं व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्री वीरेंद्र गुप्ता, बिपिन बाजपेई, सतीश गुप्ता, शिव शरण वर्मा, राम गोपाल बांग्ला, सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, निरंकार गुप्ता,मंजूशुक्ला,डॉ.यू पी सिंह, नीलम सेंगर, प्रभा शंकर वर्मा, राम विनय, माया सिंह,अजय मिश्रा,अनिल श्रीवास्तव, विमला दीक्षित, राजेश गुप्ता, संजीत मंडल, संजीव पटेल, पूनम पांडेय, अनुज अवस्थी, किरण तिवारी, आभा, सुमन गुप्ता, प्रीति मिश्रा, रविंद्र यादव आदि समस्त समिति के सदस्य उपस्थित रहे।