मातृभाषा से ही मानव व देश का कल्याण सम्भव, संकल्प दिवस के रुप में मनाने पर दिया बल।
मातृभाषा को महत्व देकर मजबूती से स्वीकार ना ही देश के नागरिकों लिए आवश्यक है। स्वदेशी भाषा के माध्यम से ही संस्कृति एवं कला का बोद्ध होता है। हमें अपनी मातृभाषाओं को प्रभावशाली बनाने के लिए बहू सांस्कृतिक एवं बहू भाषी करनी होगी। जिसे हमारी हिंदी भाषा को दृढ़ संकल्पना से विश्व में स्थान प्राप्त होगा। या कथन डीजी कॉलेज में संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉक्टर नीलम त्रिवेदी ने कहीं। मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए इस दिन को संकल्प दिवस के रुप में मनाने पर बल दिया गया।
रिपोर्ट:हरि ओम:कानपुर- डीजी कॉलेज में भारत उत्थान न्यास की ओर से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर बुधवार को महाविद्यालय के सभागार में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. साधना सिंह और मुख्य अतिथि के रूप में श्री आशुतोष अग्निहोत्री ने दीप प्रचलित कर किया। श्री आशुतोष अग्निहोत्री ने अपनेेे वक्तव्य में मातृभाषा केे महत्व पर प्रकाश डाला। आपने बताया कि गंगा जमुना तहजीब और राष्ट्रीय एकता एवम अखंडता के बारे में बताया। सभा को संबोधित करते हुए आपने इस दिन को संकल्प दिवस के रुप में मनाने की बात कहीं।बारेेन सरकार ने मातृ भाषा के महात्व एवंं उद्देश्य पर ज्ञानवर्धक वक्तव्य से छात्राओं को लाभांवित,कर मातृभाषा की एकता के बारे में विचार साझा किया। आपने बताया कि शैक्षिक वैज्ञानिक एव सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने भाषाओं और भाषाई विविधता को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस की 21 फरवरी 2000 को शुरुआत की थी। तब से यह दिवस हर देश में मनाने की प्रथाा है। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. नीलम त्रिवेदी, विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग ने किया। एवं होने वाली संगोष्ठी का उद्देश बताया। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश की विभिन्न महाविद्यालय से आए बुद्धिजीवियों एवं साहित्यकारों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहभागिता की। अतिथियों का धंयवाद करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य ने छात्राओं को संगोष्ठी के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी भी दी। जिससे छात्राओं का उत्साह वर्धन भी हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर हिना अफशा ने किया।