डामोर से 14 सौ वोट ज्यादा लिए भानू भूरिया ने, भाजपा बोली- प्रशासन ने जिताया
भोपाल। झाबुआ उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी भानू भूरिया को पिछले विधानसभा चुनाव में जीते जीएस डामोर की तुलना में 1400 वोट ज्यादा मिले, फिर भी भाजपा हार गई। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने प्रशासनिक मशीनरी की बदौलत उपचुनाव जीता है।
सिंह ने ये भी कहा कि भाजपा का वोट बैंक इस चुनाव में कम नहीं हुआ, बल्कि बढ़ा है, लेकिन कांग्रेस के बागी की गैरमौजूदगी के कारण परिणाम भाजपा के अनुकूल नहीं रहा। पिछले चुनाव में जेवियर मेड़ा को जितने वोट मिले थे, वह वोट इस बार कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गए।
पिछले चुनाव में कांग्रेस के विक्रांत भूरिया को 56,161 तो बागी जेवियर मेढ़ा को 35, 943 वोट मिले थे। यदि कांग्रेस और बागी उम्मीदवार के वोट मिला लिए जाए तो यह 92,104 वोट होते हैं। जबकि भाजपा के डामोर को 66,598 वोट मिले थे। इस उपचुनाव में भाजपा के भानू भूरिया को 67,984 वोट और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 95,741वोट मिले हैं।
कांग्रेस का बागी न होने से भाजपा को हुआ नुकसान
दोनों चुनाव के परिणामों का विश्लेषण करें तो मालूम होता है कि भाजपा को पहले से अधिक वोट मिले हैं। यदि जेवियर मेढ़ा या कोई कांग्रेस का कोई और बागी इस बार मैदान में होता तो चुनाव परिणाम की तस्वीर कुछ और होती पर कांग्रेस ने रणनीति के तहत बागी खड़ा नहीं होने दिया, जिसका उसे फायदा मिला।
सरकार की विफलता जनता तक नहीं पहुंचा सके: राकेश सिंह
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि प्रदेश की जनता में कमलनाथ सरकार को लेकर आक्रोश है। हमें चुनाव प्रचार के दौरान जनता का यह गुस्सा देखने को मिला, उसी आधार पर हमें एक आशा दिख रही थी। उपचुनाव में जनता का जो निर्णय आया है, वह निर्णय शिरोधार्य है, लेकिन हम समीक्षा करेंगे कि सरकार की विफलताओं को जनता तक क्यों नहीं पहुंचा पाए। चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि अब हम सरकार की वादाखिलाफी को जनता तक पहुंचाने का काम दोगुनी ताकत के साथ करेंगे। इसी कड़ी में चार नवंबर को प्रदेश के सभी जिला केंद्रों पर किसान आक्रोश आंदोलन आयोजित किया गया है।
सरकारी अफसरों को सरकार ने दिया था टारगेट
सिंह ने कहा कि झाबुआ कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। कांग्रेस के बागी उम्मीदवार खड़े होने से भाजपा को पिछले चुनाव में जीत हासिल हुई। इस चुनाव में जनता के भीतर प्रदेश सरकार को लेकर नकारात्मकता देखने को मिली और इसी कारण हम आशान्वित थे कि परिणाम अच्छे होंगे, लेकिन कमलनाथ सरकार ने उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग किया। शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को बूथ जिताने के टारगेट दिए गए। इसका असर इस उपचुनाव के परिणाम पर पड़ा है।
भूरिया को मंत्री बनाएं या मुख्यमंत्री, कांग्रेस तय करेगी
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में प्रदेश सरकार के मंत्री हनी बघेल ने कहा था कि यहां से भूरिया जीतते हैं, तो इस जिले को केवल विधायक ही नहीं, बल्कि एक मुख्यमंत्री भी मिलेगा। उनके कथन अनुसार अब कांग्रेस को तय करना है कि वह कांतिलाल भूरिया को मंत्री बनाएंगे या मुख्यमंत्री।