मुंबई। सरकार, उद्योग और बाजार की उम्मीदों के अनुरूप कदम उठाते हुये रिजर्व बैंक ने आज नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर उसे 6 प्रतिशत कर दिया। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति का जोखिम पहले से कम हुआ है। रेपो दर में कटौती के उसके कदम से आवास, वाहन और कंपनियों को दिये जाने वाले कर्ज के सस्ता होने की उम्मीद है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को उनकी फौरी जरूरत को पूरा करने के लिये नकदी उपलब्ध कराता है। चौथाई फीसदी की कटौती के बाद रेपो दर 6 प्रतिशत रह गई है। पिछले साढे छह वर्ष में यह इसका सबसे निचला स्तर है।
रिवर्स रेपो दर में भी 0.25 प्रतिशत कटौती की गई है जिसके बाद यह 5.75 प्रतिशत रह गई। रिवर्स रेपो दर के तहत रिजर्व बैंक, बैंकिंग तंत्र से नकदी उठाता है। इसके साथ ही बैंकों की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दर भी घटकर 6.25 प्रतिशत रह गईं। रिजर्व बैंक ने इससे पहले रेपो दर में पिछले साल अक्तूबर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। सितंबर 2016 में रिजर्व बैंक गवर्नर का कार्यभार संभालने के बाद उर्जित पटेल के नेतृत्व में यह पहली मौद्रिक समीक्षा थी। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अस्तित्व में आने के बाद वह उसकी पहली बैठक थी।
उर्जित पटेल ने एमपीसी की बैठक में लिये गये निर्णय की जानकारी देते हुये कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति का निर्णय उसके तटस्थ रुख के अनुरूप है। यह निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के दो प्रतिशत ऊपर अथवा नीचे रहने के दायरे के साथ इसे चार प्रतिशत पर रखने के मध्यकालिक लक्ष्य को सामने रखते हुये लिया गया है।’’ रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में कटौती के बावजूद चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अपने लक्ष्य को 7.3 प्रतिशत पर यथावत रखा है।
वित्त मंत्रालय ने नीतिगत दर में कटौती के रिजर्व बैंक के निर्णय का स्वागत करते हुये इसे देश में व्याप्त संभावनाओं और नरम मुद्रास्फीति के साथ साथ सतत आर्थिक वृद्धि हासिल करने की दिशा महत्वपूर्ण कदम बताया है।
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