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योग की बढती लोप्रियता 

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आशुतोष- पटना बिहार

भारत के लिए सुखद एहसास।

16वीं लोकसभा के गठन के बाद भारत के आह्वान पर संयुक्त राष्ट्र संध में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया जिसे स्वीकार करते हुए 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषित किया गया।आज विश्व के लगभग180 देश इस दिवस को मनाने लगे है बल्कि इसकी उपयोगिता और लाभ को समझने लगे हैं ।इसे आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करवाने के लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
योग की महत्ता को बहुत करीब से जानकर उन्होने इसे अपनाया है और अपने जीवन के दिनचर्या में उतारकर भारत के लोगो को ही नही अपितु पूरे विश्व समुदाय को इससे जोडा है।
इससे मिलने वाले लाभ मन की एकाग्रता शांति तथा ऊर्जा से लवरेज रखता है।यह हमारे पूर्वजो के द्वारा प्रदान की गयी अपूर्व ऊर्जा थी जिसे अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी लोग समझने और सराहने लगे हैं। भारत ऋषियों मनीषियों संत कबीरो फकीरो मौलबीयो का देश रहा है प्रायः सभी ने योग को अपनी ऊर्जा का माध्यम माना है। जिसका जिक्र वेद-पुरानो, गीता, बाइबिल आदि ग्रंथो में मिलता है।योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है।
योग प्रचीन समय से ही अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं।योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।
भगवद गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं  –
1 कर्मयोग – इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है।
2 भक्ति योग – इसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है।
3 ज्ञाना योग –  इसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है।
      आज के इस दौरभाग भरी जिन्दगी में थोडे समय के ठहराव को यदि योग दिनचर्या में शामिल हो तो बहुत सारे झंझटो से मुक्ति तो मिलती ही है स्वास्थ्य को भी दुर्लभ लाभ मिलता है अतः इसे आज बडे पैमाने पर अपनाया जाना भारत के लिए सुखद है जिसे राजनीति से परे रखकर लोगो ने अपने भविष्य स्वस्थ्य जीवन के लिए नित करने की जरूरत को समझा और योग को अपनाया है जिन्होने नही समझा या अपनाया उन्हें भी योग को अपने दैनिक जीवन में उतारने की जरूरत है।

योग (कविता)

तन का आधार  है योग
इसे अपनाकर न बढे रोग
स्वास्थ एकाग्रचित निर्मल
कोमल शुद्ध तन न हो गंदा।
जीवन की अनमोल क्षण दो
ध्यान मग्न रहो और रहो चंगा।
आत्म शुद्धि बढे बुद्धि
चंचल मन बस में रहे
पास न आवे कुबुद्धि।
है पौराणिक पर गुणो से भरा
कई रोगो की यह औषधि भी
टेक्स लेना देना नही
खर्च कोई लगता नही
कई प्रकार है करने को
समय थोडा ही लगने को।
अपनाकर जीवन में सारे
अपना जीवन करो न्यारे।

आशुतोष- पटना बिहार

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