भारतीय बाल रोग अकादमी द्वारा काफ्रेंसका आयोजन
1 min readडा0 रश्मि कुमार ने बताया अभिभावक अपने शिशुओं को प्रोटीन काब्रेाहइड्रेट और फैट पर तो ध्यान देते है, जिससे उनका शारीरिक विकास तो नजर आता है लेकिन जिंक आयरन, कैल्सियम, विटामिन देने पर कम ध्यान देेते है जिससे शिषु का मानसिक विकास प्रभावित होता है और समय से यह विकास नही हुआ तो भविष्य में कवर करना नामुमकिन हो जाता है। डा0रहाुल ने बताया एक अनुमान के अनुसार स्कूल के बच्चों को एडीएचडी 4 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के बीच प्रभावित करता है। लउकियो ंकी तुलना में लडकों को ये समस्या ज्यादा होती है। एम्स दिल्ली के डा0 प्रशान्त ने बताया कि पोलिया एक संक्रामक रोग है जो पोलियों विषाणु से मुख्यतः छोटे बच्चों में हेाता है। यह बीमारी बच्चे के किसी भी अंग को जिन्दगी भर के लिए कमजोर कर देती है। डा0 विशाल ने बताया मिर्गी न्यूरो से जुडी एक बीमारी है यदि सही समय पर सही इलाज हो तो मरीज समानय जिन्दगी जी सकता है। डा0 जेएन गोस्वामी ने बताया कि दिमागी बुखार को इन्र्सेफेलाइटिस और मस्तिष्क ज्वर, ब्रेन फीवर के नाम से जाना जाता है। इसकी काॅमन वजह वायरल इन्फेंशन होता है। साथ ही वैक्टीरिया और फंगस की वजह से भी दिमागी बुखार की समस्या हो सकती है। कार्यक्रम में डा0 आरपी सिंह, डा0 नेहा अग्रवाल, डा0 एससी मिश्रा, डा0 जेके गुप्ता, डा0 विवेक सक्सेना, डा0 दीपक संखवार आदि मौजूद रहे।