5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम, जानिए वित्त मंत्री ने क्या कुछ कहा
1 min readनयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच साल में 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में मंगलवार को अहम घोषणा करते हुये 102 लाख करोड़ रुपये की ढांचागत परियाजनाओं की वृहद सूची जारी की। इसमें मुंबई- अहमदाबाद के बीच तेज गति की रेलगाड़ी चलाने सहित ऊर्जा, बिजली, सड़क क्षेत्र की कई परियोजनायें शामिल हैं।
सीतारमण ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में ढांचागत परियाजनाओं के क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये निवेश करने का जिक्र किया था। इसके बाद आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में बने एक कार्यबल ने चार माह की अल्पावधि में ही 102 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की पहचान की है।ऐसा करते हुये 70 विभिन्न संबद्ध पक्षों के साथ विचार विमर्श किया गया।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।ग्रेटर नोएडा से सटे जेवर में हवाईअड्डे पर काम शुरू होने और जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन से इस आंकड़े में तीन लाख करोड़ रुपये की राशि और जुड़ सकती है।उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुये प्रसन्नता हो रही है कि परियोजनायें आ रही है और अगले कुछ सप्ताहों में हमें तीन लाख करोड़ रुपये की और परियोजनायें मिल सकतीं हैं … इस प्रकार कुल मिलाकर मुझे लगता है कि 100 लाख करोड़ रुपये की हमारी प्रतिबद्धता के मुकाबले 105 लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें हमारे सामने होंगी।’’
रेटिंग एजेंसियों ने सरकार की इस घोषणा को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये सकारात्मक पहल बताया है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार ऐसे समय जब आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ रही है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की यह घोषणा अर्थव्यवस्था में तेजी ला सकती है।एजेंसी ने कहा है कि इस नये निवेश का निर्माण क्षेत्र को सबसे ज्यादा फायदा मिल सकता है।एजेंसी ने कहा है कि कम समय में ही राष्ट्रीय अवसंरचना परियाजनाओं की सूचीतैयार करना सकारात्मक कदम है। ‘‘प्रस्तावित निवेश का बड़ा हिस्सा परिवहन, ऊर्जा और जल क्षेत्र में जाना हमारी उम्मीदों के अनुरूप है।’’
वित्त मंत्री की घोषणा के अनुसार 102 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं में से 43 प्रतिशत यानी 42.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें क्रियान्वयन के तहत हैं, 33 प्रतिशत यानी 32.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिये तैयारी की जा रही है जबकि 19.1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें विकास के क्रम में हैं।ये परियाजनायें 22 मंत्रालयों, 18 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की शुरुआत करने की भी मंशा रखती है। यह केन्द्र, राज्य और निजी क्षेत्र को साथ रखते हुये मिलकर काम करने के लिये एक समन्वय प्रणाली होगी।इसमें परियोजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी रखने के साथ ही सूचनाओं को पहुंचाने का काम किया जायेगा। सरकार का कहना है कि इन परियाजनाओं के अलावा पिछले छह साल में उसने और राज्यों ने 51 लाख करोड़ रुपये विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च किये हैं।
इस बीच सीबीआरई के भारत, दक्षिण पूर्वी एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के चेयरमैन और सीईओ अंशुमान मैगजिन ने कहा कि सरकार का यह कदम भारत को दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। रीयल एस्टेट क्षेत्र की संस्था नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि सरकार की ताजा पहल और इससे पहले उठाये गये कदमों को मिलाकर अर्थव्यवसथा पर सकारात्मक प्रभाव अब जल्द ही दिखने लगेगा।
सीतारमण ने कहा कि नई परियोजनाओं में निवेश में केन्द्र और राज्यों का हिस्सा 39- 39 प्रतिशत है जबकि शेष 22 प्रतिशत निजी क्षेत्र के हिस्से का है। उन्होंने कहा कि 2025 तक यह हिस्सा 30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। आर्थिक मामलों के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने कहा कि 13.6 लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें चालू वित्त वर्ष के दौरान क्रियान्वित होंगी जबकि 19.5 लाख करोड़ रुपये की 2020- 21 में और 19 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर 2021- 22 में क्रियान्वयन किया जायेगा।इसके बाद बचे तीन साल में 2022- 23 में 13.8 लाख करोड़ रुपये, 2023- 24 में 12.8 लाख करोड़ रुपये और 2024- 25 में 11.1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को अमल में लाया जायेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इनमें ज्यादातर परियोजनायें ऊर्जा, बिजली, रेलवे, शहरी विकास, डिजिटल क्षेत्र, सिंचाई, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र की परियोजनायें हैं।उन्होंने कहा कि लाख करोड़ रुपये की ऊर्जा क्षेत्र में, 20 लाख करोड़ रुपये की सड़क निर्माण और करीब 14 लाख करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनायें इस सूची में शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार रिण बाजार और वैकल्पिक निवेश कोष को अधिक गहरा और व्यापक बनाने पर ध्यान दे रही है। ये कोष इन परियोजनाओं के लिये जरूरी वित्त उपलब्ध करायेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि वार्षिक वैश्विक निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण अगले साल की दूसरी छमाही में होगा। इसमें एक ही मंच पर निवेशकों के साथ मुलाकात की जा सकेगी।