प्रकृति पुलकित हो मुस्का रही
लेखिका -डा सरिता चन्द्रा यौवन चढ़ा धरा पर, हरियाली अपना पैर पसार रही मंजरी से सजा तरु बदन, बरखा प्रेम रस छलका रही मनमोहक सुगंध बिखेरे पवन, नदी सुगम संगीत सुना रही तटनी झरनों की मौज देख, प्रकृति पुलकित हो मुस्का रही पुष्प पात से सजी धरा, दुल्हन सी खिलखिला रही पर्वत शिखर उतरा बादल, […]