परशुराम जी के वंशजों का इतिहास महाराज गौरव शर्मा बामौर बदरवासपरशुराम जी के वंशजों का इतिहास महाराज गौरव शर्मा बामौर बदरवास

मध्य प्रदेश
भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी के वंशजों का इतिहास महाराज गौरव शर्मा बामौर बदरवास
 शिवपुरी – पंडित गौरव शर्मा जी बामौर बदरवास बालों ने बताया ब्राह्मण समाज का इतिहास
             श्री गणेशाय नमः
जय शिव शक्ति
हर हर महादेव
जय मां भवानी
जय श्री राम
जय बाबा महाकालेश्वर
साहब वक्त बदलता ,, है वक्त नहीं
इतिहास अगर हमारा झूठा है तो ,, क्योंकि कोरोनावायरस भी झूठा है ,, हजारों साल पहले हमारे महर्षि ओं ने भविष्यवाणी कर दी थी धर्मशास्त्र के माध्यम से कोरोना महामारी की ,, इतिहास हमारा एवं धर्म शास्त्र हमारे अटल सत्य थे अटल सत्य है और अटल सत रहेंगे ,,
हमारे इन महर्षि यों के चरणो में मेरा कोटि कोटि नमन प्रणाम
साहब वक्त बदलता ,,रक्त नहीं
साहब धन दौलत कमाने के लिए कार्य नहीं करते,, हम मान सम्मान स्वाभिमान के लिए कार्य करते हैं साहब ,, जितना हमारे लिए प्रभु उन्हें परमपिता परमात्मा ने दिया उतने में ही हम संतुष्ट रहते हैं साहेब मान सम्मान स्वाभिमान के लिए जीते हैं साहब
भगवान परशुराम जी के वंश का मैं  आपको इतिहास वर्णन कर आता हूं
महाराज दाऊ कुंवर ठाकुर सिंह की उपाधि क्यों लगाई जाती है जिझौतिया ब्राह्मणों में,, ब्राह्मणों में जिझौतिया खाप कैसे पड़ी ,, इसकी जानकारी हम आप को विधिवत बताते हैं,, भगवान परशुराम जी का वंशज ब्राह्मण प्राचीन काल से ही धर्म रक्षा राष्ट्र रक्षा के लिए तत्पर रहे हैं,, परशुराम वंशजों ने अनेकों कुर्बानियां धर्म रक्षा और राष्ट्र रक्षा के लिए दी है
,, इन ब्राह्मणों ने बड़े बड़े राजाओं को शरण दी है उनकी रक्षा की है,, इन ब्राह्मणों ने बड़े-बड़े सुर वीरों को भी परास्त किया है ,, इन ब्राह्मणों की यह भी बताया जाता है कि शूरवीर ता का का प्रत्यक्ष के चलते इनका नाम  जिझौतिया पड़ा है,,  खासतौर से आज भी बताया जाता है कि प्राचीन काल की परंपरा के साथ बुंदेलखंड एवं ग्वालियर चंबल में इन ब्राह्मणों में दशहरा एवं अक्षय तृतीया (भागवान परशुराम जन्मोत्सव) के दिन महाराज की सिंहासन पर भूषित किया जाता है ,, जो राजघरानों में नियम होते हैं वही विधिवत पूजा और अर्चना की जाती है,, जिजौतिया ब्राह्मण वीर जाती है इसलिए इनके नाम के आगे महाराज दाऊ कुंबर ठाकुर सिंह की उपाधि लगाई जाती है,, और भी बताया जाता है इनके बारे में, , इन ब्राह्मणों के प्राचीन काल से नागवंश से संबंध रहे हैं, , आज भी इन ब्राह्मणों में इनके पूर्वजों द्वारा दिखाए हुए मार्गदर्शन एवं संस्कृति द्वारा दिखा हुए मार्गदर्शन ओं पर विधिवत जो लोग आज चलते हैं उनको अगर जहरीला नांग भी डास लेता है तो इन पर कोई भी असर नहीं होता,, जहरीले नांग का जहर भी इन पर सवार नहीं होता,, बताया जाता है कि क्षत्रिय वंश के राजाओं ने भी अपने क्षेत्रों का नाम जिझौतिया रखा है अनेकों झंगहा जिझौतिया नामक क्षेत्र पाए जाते हैं भारत देश में,, क्षत्रिय वंश राजाओं ने अपने क्षेत्रों का नाम जिझौतिया क्यों रखा क्योंकि जिझौतिया जाती वीरता का प्रत्यक्ष थी,, क्षत्रिय वंश के राजा महाराजाओं ने इन ब्राह्मणों को बड़ा सम्मान दिया है इनको अपना कुलगुरु और कुल पुरोहित बनाकर उनके कुल वंश का उद्धार कराया है इन ब्राह्मणों का क्षत्रिय वंश के राजा एवं महाराजाओं ने इनका बड़ा सम्मान एवं गौरव बढ़ाया है ,, इन ब्राह्मणों की वीरता की गौरव गाथा विदेशी शासकों ने भी गाई है वीरता की प्रत्यक्ष की, , ए भी बताया जाता कि भारतवर्ष में जहां जहां पर यह ब्राह्मण मिलेंगे तेज स्वभाव के ब्राह्मण मिलेंगे, , मातृ भूमि एवं राष्ट्रभक्ति के लिए समर्पित वाले ब्राह्मण मिलेंगे, , प्राचीन काल से ही इन परशुराम वंशज ब्राह्मणों का इतिहास रहा है धर्म रक्षा राष्ट्र रक्षा के प्रति यह ब्राह्मण सदैव तत्पर खड़े रहे हैं,, धर्म रक्षा राष्ट्र रक्षा की खातिर इन ब्राह्मणों के पूर्वजों ने अनेकों कुर्बानियां दी हैं
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इन ब्राह्मणों की ए भी बताया जाता है कि, , इन ब्राह्मणों में ओरछा वाले लाला हरदौल को विशेष महत्व दिया जाता है,, भारतवर्ष में हर जाति और वर्ण में विवाह कार्य में हरदौल लाला को पूजा जाता है, पर इन ब्राह्मणों में 12 महीने और हर तिथि हर महत्वपूर्ण त्यौहार में लाला हरदौल को पूजा जाता है,, क्योंकि लाला हरदौल को बताया जाता है कि तेजस्व क्षेत्रीय गुण ब्राह्मण इसलिए इनको पूजा जाता है ,, इन ब्राह्मणों में हरदौल लाला से कामना कर कर कार्य शुरू किया जाता है हरदौल लाला को कुल रक्षक देव माना जाता है इनमें,,बताया जाता है तो प्राचीन काल से ही क्षत्रिय और ब्राह्मण सप्त ऋषि की संतान है, , प्राचीन काल से ही बताया जाता है कि क्षत्रिय वंश के राजा अपनी कन्या ब्राह्मणों को देते थे, , क्योंकि क्षत्रिय और ब्राह्मणों के गोत्र एक ही आते हैं, , ऐसी प्रत्यक्ष प्राचीन काल के बहुत से क्षत्रिय वंश के राजाओं ने अपनी कन्या ब्राह्मणों को दिए हैं, , यह बताया जाता है कि, , क्षत्रिय वंश के राजा और महाराजाओं का जीवन का मुख्य उद्देश ही रहता है,, उत्तम कोटि में कन्या तुम जाओगी दोनों कुल को तुम भव से बेड़ा पार कर आओगी ,, ब्राह्मण वंश एवं क्षत्रिय वंश का गौरव तुम कन्या बड़ा होगी, ,
बड़े-बड़े महर्षि ओ द्वारा बताया जाता है  वीरता के चलते धर्म रक्षा के चलते एवं राष्ट्र रक्षा के चलते एवं हिंन्दू संस्कृति की रक्षा के चलते  शास्त्र एवं शस्त्र विद्या चलते एवं त्याग और तपस्या के चलते एवं परशुराम वंशज ब्राह्मणों में तेजस्व क्षत्रिय गुण ब्राह्मण हैं इसलिए इन ,,जिझौतिया वांषढ़ भार्गव ब्राह्मणों को भारत वर्ष में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं,, इन ब्राह्मणों को दुनिया ने भी लोहा माना है,, विदेशी शासक भी इन ब्राह्मणों के आगे नतमस्तक हो गए हैं ,,
हर हर महादेव
साहब कुछ तो आज के जमाने में पैसे मे अहंकार में पद और प्रतिष्ठा बदल लेते हैं,, पद और प्रतिष्ठा खत्म हो जाने के बाद कायरों की तरह घर बैठ जाते हैं,, माया का अहंकार किसी का नहीं रहा साहब,, साहब हमारे शास्त्रों में ,, बताया जाता है कि अहंकार में 3 गए धन वैभव और वंश ना मानो तो देख लो रावण कौरव कंश
सहाव हमारे सनातन धर्म शास्त्रों में बताया जाता है कि ,, सत्य पर चलने के लिए हमारे पूर्वजों ने तन मन धन और जीवन समर्पित कर दिया था साहब ,, माया के लिए नहीं,,सत्य के लिए साहब,, राजा हरिशचंद्र जी ने ऐसे अनेकों महापुरुषों ने, , साहब हम उन महर्षि यों की संतान हैं जिनकी आज्ञा का पालन खूंखार जानवर भी किया करते थे
पद और प्रतिष्ठा धन और वैभव से नहीं होती हैं,,पद और प्रतिष्ठा संस्कारों में एवं खून में होती है साहब
महाराज
पंडित कुंवर ठाकुर
गौरवकृष्ण शर्मा बामौर बदरवास
जिला शिवपुरी
ग्वालियर चंबल संभाग मध्यप्रदेश
9584114142,9425444142

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