मौत का खेल लेकर आई हॉरर फिल्म ‘नंबर गेम’

—अनिल बेदाग—
बलात्कार को लेकर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं। ये एक ऐसा मुद्दा है, जो आक्रोश पैदा करता है। बलात्कार के खिलाफ कड़ा कानून भी बन चुका है, लेकिन इसके बावजूद ऐसी सनसनीखेज वारदातों में कोई कमी आती नहीं दिखती। इसलिए मेकर्स ऐसे विषयों पर फिल्में बनाते रहते हैं। हिंदी फिल्म ‘नम्बर गेम’ सत्य घटना पर आधारित एक काल्पनिक हॉरर फिल्म है। इस फिल्म का कहानी का आधार वेस्ट बंगाल में 1991 में हुए एक बहुचर्चित रेप काण्ड को बनाया गया है। निर्माता संजय शर्मा ने इस कहानी को सुनते ही इस पर फिल्म बनाने का फैसला कर लिया और लेखक—निर्देशक सुमित सिन्हा की मदद से फिल्म तैयार कर डाली। बता दें कि इससे पहले भी निर्माता संजय शर्मा और निर्देशक सुमित सिन्हा फिल्म बायस्कोप के लिए एक साथ काम कर चुके हैं। फिल्म में हॉरर भी है लेकिन यह दूसरी हॉरर फिल्मों से अलग है और इसे नए ट्रीटमेंट के साथ पेश किया गया है।
    ऑर्बिट 9 एक्स फिल्म बैनर तले बनी फिल्म नम्बर गेम की सह निर्मात्री हैं पूजा पूनिया। फिल्म का मुख्य आकर्षण उत्तर प्रदेश की बाल कलाकार 12 वर्षीय रिव्या राय हैं जिन्होंने फिल्म के लिए दो सप्ताह तक एक्टिंग वर्कशॉप भी किया। इसके अलावा ऐश्वर्या राजेश, रिमी, नकुल चौधरी, रामेश गोयल, पिम्पी ताईचंग, शिमान, अजय मिश्रा, रिव्या राय और बबिता की भी अहम भूमिका है। फिल्म की कहानी लन्दन से शुरू होती है। फिल्म तब शुरू होती है जब एमी चौधरी एक ऑनलाइन गेम का मोबाइल एप ‘नंबर गेम’ को डिजाईन करवाती है और उसे दुनिया में लॉन्च करने से पहले भारत में लॉन्च करती है। इसमें प्लेयर्स भाग लेते हैं और अंत में नंबर गेम मौत का खेल बन जाता है जिसमें सिर्फ वही बचता है जो सबसे सही खिलाड़ी होता है और कोई गलती नहीं करता है।

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