वादाखलाफी करके किसान बना हैवान,हाथों में लिए तिरंगा कर रहे दंगा।
सदियों से नहीं हुआ ऐसा और सदियों तक भुला ना पाएंगे गणतंत्रता 72 वें गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा ट्रैक्टर मार्च निकाले जाने के दौरान हुई विद्रोह और शर्मसार घटना।
संवाददाता हरिओम द्विवेदी:- जहा एक तरफ देश अपना 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सीमाओं पर किसान ट्रैक्टर परेड के जरिए तिरंगा यात्रा निकालकर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थें। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ ये किसान 2 महीने से दिल्ली बॉर्डर पे डटे हुए थे। और सरकार और दिल्ली पुलिस से 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर मार्च तिरंगा यात्रा निकालने के लिए अमादा थे। दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच ट्रैक्टर मार्च को लेकर रोड मैप तैयार किया गया था जिस पर किसान नेताओं ने भी अपनी सहमति जताई थी। और किसी भी प्रकार से उपद्रव और अधिक संख्या में यात्रा में सम्मिलित ना होने की बात पर सहमति जाहिर की और आज ट्रैक्टर रैली के जरिए अपना विरोध जते हुए हजारों की संख्या में ट्रैक्टर और लाखों की संख्या में लोगों ने दिल्ली की सड़कों पर कुछ करते हुए मार्ग से विपरीत मार्ग पर जाने की जिद करने लगें। इस दौरान गाजीपुर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई जिसके बाद लाठीचार्ज करने की खबर भी सामने आई
ट्रैक्टर रैली के दौरान गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिए जिसके बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज भी किया।दरअसल, अक्षरधाम से पहले एनएच 24 पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई थी, लेकिन कुछ किसानों के जत्थे ने ट्रैक्टरों के साथ बैरिकेडिंग को तोड़कर दिल्ली की तरफ घुसने की कोशिश की तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और उनपर लाठीचार्ज कर दिया, किसानों को वहां से खदेड़ा गया।
वहीं ट्रैक्टर रैली को लेकर किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा है कि हम दिल्ली पुलिस के रूट का नहीं, बल्कि अपने रूट पर ही मार्च निकालेंगे। हमने दिल्ली पुलिस को बताया है कि हम बाहरी रिंग रोड पर जाएंगे, अब दिल्ली पुलिस को देखना है कि वो इसके लिए क्या व्यवस्था करते हैं।
बता दें कि किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान नोएडा के सेक्टर 14 ए चिल्ला बॉर्डर पर एक दुर्घटना भी हुई है. दरअसल रैली के दौरान स्टंट की वजह से ट्रैक्टर का संतुलन बिगड़ा और पलट गया. ट्रैक्टर पलटने से किसान संगठन के महानगर अध्यक्ष राजीव नागर घायल हो गए. मौके पर मौजूद सैकड़ों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर को सीधा किया और महानगर अध्यक्ष को बाहर निकाला.
किसानों ने अपने ट्रैक्टर रैली में जेसीबी को भी शामिल किया है जिसके जरिए वो रास्ता बनाने के लिए बैरिकेड्स भी हटा रहे हैं। संगीत की धुन और देशभक्ति नारों के साथ किसानों के ट्रैक्टर आगे बढ़ रहे थे। दिल्ली पुलिस की तरफ से किसानों को सिंघु बॉर्डर पर 62 किलोमीटर, टिकरी बॉर्डर पर 63 किलोमीटर, और गाजीपुर बॉर्डर पर 46 किलोमीटर ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाजत मिली थी। जिस को दरकिनार करते हुए आंदोलनकारी विद्रोह पर उतर आए और बैरिकेडिंग को तोड़कर डीटीसी बसों के शीशों और ट्रैक्टर द्वारा बसों को धकेल ते हुए तय रूट से आगे निकल गए।
दिल्ली पुलिस की तरफ से बार-बार किसानों से नियमों का पालन करने की अपील की जा रही है। साथ ही तय रूट के बारे में बता कर तय रूट पर ही ट्रैक्टर मास नकालने की अपील की जा रही थी लेकिन इससे उलट किसान नेता आंदोलन को विद्रोह आंदोलन का रूप देकर लाल किला की सुरक्षा व्यवस्था को तार-तार कर के परिसर में घुस गए और जहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया जाता है वहां पर सभी प्रदर्शनकारी पहुंच कर उपद्रव करने लगे सबसे दुखद शर्मसार करने वाली घटना तब हुई जब लाल किले पर चढ़कर लोगों ने अपने धार्मिक झंडे और किसान यूनियन के झंडे को तिरंगे की जगह लगाने की कोशिश करते हुए नजर आए और आखिरकार धार्मिक झंडे को तिरंगे की जगह लगाने में कामयाब हो गए। कई जगह ऐसी शर्मसार होने वाली घटना नजर आई जहां एक हिंदुस्तानी होने पर आपको शर्म आ जाएंगी। कई जगह तिरंगे का अपमान भी हुआ वही एक जगह तो तिरंगे को फेंक कर किसान यूनियन का झंडा लगाया गया और धार्मिक झंडे को भी वहां लगाया गया और ऐसा उस वक्त हुआ जब गणतंत्र दिवस की 72 वर्षगांठ मनाई जा रही थी। जहां एक तरफ किसानों ने जय किसान जय जवान के नारे लगाए वही सुरक्षा व्यवस्था में तैनात जवानों को घेर कर भी मारा पीटा गया। कुछ लोगों ने अपने पास धार्मिक अस्त्र शस्त्रों से भी प्रहार किया सुरक्षाकर्मियों के कई लोगों के घायल होने की सूचना। सच मानिए तो आज देश के हर नौजवान देशवासियों के दिल में ट्रैक्टर मार्च और किसान आंदोलन के प्रति जो घृणा में जन्म लिया है वह शायद कभी ना मिट पाएगी। जहां पत्रकारों के साथ भी अभद्रता की गई। और पत्रकारों के माइक छीने गए वही महिला पत्रकारों के साथ अप शब्दों का प्रयोग किया क्या इस आंदोलन में या यूं कहें ट्रैक्टर तिरंगा मार्च में किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र ओ की कोई आवश्यकता थी और ना ही किसी ने हत्यारों को लेकर आंदोलन में घूमने की अनुमति नहीं ली। लोगों को अपने पास हथियार रखने की क्या आवश्यकता थी और इस आंदोलन में इतने बड़े और खतरनाक हथियारों का क्या काम था। इस विषय पर दिल्ली पुलिस और शासन प्रशासन को गहनता से सोचना होगा। कुछ लोगों के पास धार्मिक रंग ओढ़ कर अपने पास खतरनाक हथियार रखते हैं उनके विषय पर भी सरकार को सोचना होगा और एक नई गाइडलाइन के तहत हथियारों को साथ में रखने की अनुमति देनी चाहिए।हालांकि हथियार रखने की और कितना बड़ा हथियार रखने की अनुमति है इस पर एक बार फिर से सरकार को कड़े नियम लागू करने पड़ेंगे। किसी भी धर्म समुदाय पंथ के पास किसी भी प्रकार के हथियारों की रूपरेखा हो एक बार फिर से नियमों को लागू करना होगा।जो भारत सरकार ने नियम लागू करें हैं। हम किसी की धार्मिक आस्था को चोट नहीं पहुंचाना चाहते हैं लेकिन यह देश कानून से चलेगा संविधान से चलेगा ना कि अपनी-अपनी धार्मिक रंग ओढ़ के हथियारों की नुमाइश करके नहीं चलेगा। वही बताया जा रहा है कि अमित शाह के घर पर आपत्कालीन मीटिंग की जा रही है और इस आंदोलन उपद्रवी लोगों पर किस तरीके से काबू पाया जाए इसकी योजना की जा रही है।