शिक्षा और शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। आज के समय में रोटी कपड़ा और मकान ही नहीं शिक्षा भी जरूरी है। आज के समय में हम सभी शिक्षा प्राप्त करने के लिए तत्पर रहते हैं। और सभी को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित भी करते हैं। लेकिन कोविड-19 के आने के कारण स्कूल और कॉलेजों में सत्र की अंतिम परीक्षा को रद्द करना पड़ा। जब स्कूलों में नए सत्र को प्रारंभ करने का समय था तब कोविड-19 कारण स्कूलों में नया सत्र प्रारंभ करने में परेशानी आने के कारण सरकार ने पहली से नौवीं कक्षा तक के छात्रों को बिना परीक्षा अगली कक्षा में भेज दिया। नए सत्र की शुरुआत ऑनलाइन क्लासेस के साथ करने का आदेश सरकारों द्वारा सभी स्कूलों और अध्यापकों को दे दिया गया। जिसका पालन करना शिक्षकों के लिए उनका कर्तव्य बन गया।
हमारे देश में जहां लोगों के पास खाने पीने के लिए सही इंतजाम नहीं है। वहां यदि हम ऑनलाइन क्लास के प्रयोग की बस सोच ही ना रखें, उसका प्रयोग भी आरम्भ कर दें।
वह भी कोविड-19 के समय में। जब बच्चों के पास ना ही कॉपी किताब का प्रबंध है और ना ही नहीं क्लास की कोई जानकारी। ऐसे में आने वाली समस्याओं से जूझने के लिए शिक्षकों को अपनी समझदारी और ज्ञान का प्रयोग करते हुए कई नए प्रयोग करने पड़े। नए-नए ऐप और नए-नए तरीकों का इस्तेमाल करते हुए बच्चों की शिक्षा को आगे बढ़ाने का कार्य करने में हमारे देश के अध्यापकों ने कोविड-19 के समय में अपना बहुत ही बड़ा सहयोग प्रदान कर रहे हैं। कई स्थानों पर तो नेट ना होने के कारण अध्यापक पेड़ों पर चढ़कर ऑनलाइन क्लासेस लेते हुए नजर आए। ऐसा कर्तव्य निभाने का जुनून, हमें उनकी सराहना करने के साथ ही मुश्किल समय में हार ना मानने का भी उत्साह प्रदान करता है।
ऑनलाइन क्लासेस लेकर अध्यापक केवल छात्रों को शिक्षा ही प्रदान नहीं कर रहे उनका उत्साह भी बढ़ा रहे हैं इस बीमारी से लड़ने में उन्हें नहीं उर्जा भी प्रदान कर रहे हैं। नए-नए कार्यों से अध्यापक छात्रों को जोड़कर शिक्षा के साथ ही नई तकनीक सीखने में हमारी आने वाली पीढ़ी को
सहयोग दें रहें हैं। उन्हें कोविड-19 के खौफ भरें माहौल से कुछ ही समय के लिए सही लेकिन बाहर निकालने का प्रयास भी कर रहे हैं।
जब हम देश में ऑनलाइन क्लास की शुरुआत करते हैं तब हमें यह भी जानना जरूरी है कि हमारे देश में कितने परिवार यह कितने छात्र इस प्रक्रिया का प्रयोग कर पा रहे। जहां हम लोगों से पूछ रहे हैं कि आप को खाना मिला या नहीं। वहां क्या यह नहीं पूछना चाहिए, कि उनके पास शिक्षा प्राप्त करने का माध्यम है या नहीं। शिक्षा के नए सत्र को आरंभ हुए एक महा होने वाला है। किन्तु हम सभी यह तो रहें है, कि हमारे बच्चों को शिक्षा किस प्रकार से प्राप्त हो। लेकिन उन बच्चों की कोई नहीं सोच रहा है। जिनके घरों में ना कोई डिजिटल सेवा उपलब्ध है और ना ही उनके परिवार वालों को उनकी समझ है।
हमारे देश में गरीब तबके के लोगों को जीवित रखने के लिए खाने पीने के प्रबंध को, तो महत्व दिया जा रहा है, लेकिन शिक्षा को नहीं। शायद हमारे देश में गरीबों का जीवित रहना जरूरी है, लेकिन उनको शिक्षित करना नहीं। हमें खाने पीने के साथ ही, शिक्षा की और भी ध्यान देना चाहिए। यह केवल हमारा उनके लिए कर्तव्य ही नहीं, जिम्मेदारी भी है और उनका अधिकार भी। सरकार ही नहीं हमें भी अपने आप-पास देखना होगा और जरूरत मंद लोगो को खानें और आवश्यक समानों के साथ शिक्षा में भी अपना सहयोग देना चाहिए।
राखी सरोज