सोशल डिस्टेंसिंग के साथ महिलाओं ने घरों में रहकर वट सावित्री व्रत पूजन कर अपने सुहाग और समाज के लिए मांगी दुआएं।
संवाददाता-:हरिओम द्विवेदी कानपुर-वट सावित्री अमावस्या की पूजा शुक्रवार को घरों में बड़ी धूमधाम से मनाई गई जहां एक ओर कोरोना महामारी के प्रकोप से लोगों ने अपने घरों में ही सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए वट सावित्री की पूजा करी तो वहीं कुछ महिलाओं ने वीडियो कॉल के जरिए अपने घरों और वह अपने बड़े बुजुर्गों से पूजन में होने वाली पूजा विधि का विधि पूर्वक जानकारी कर पूजा व्रत संपन्न किया।आपको बता दें कि पूजन में बरगद की पूजा करने का प्रावधान है। आचार्यों पुरोहितों के अनुसार बरगद से ब्रह्मा,विष्णु, महेश की भी कृपा प्राप्त होती हैं।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को बरगद के वृक्ष की पूजा करने से सुहाग और घर परिवार के स्वस्थता के लिए यह पूजा पद्धति का प्रावधान है। प्राचीन कथा अनुसार इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान प्राणों की रक्षा यमराज से की और कठोर हट कर अपने पति के प्राण वापस लौटने के लिए यमराज को विव विवश कर दिया था। यमराज ने सावित्री के पति धर्म और पति प्रेम को देखते हुए सावित्री के पति के प्राण लौटाने की हट को स्वीकार कर उन्हें पति पत्नी सहित आशीर्वाद दिय। और इस दिन पूजन व्रत करने का प्रावधान पूर्ण करने से पति की लंबी उम्र और पुत्र रत्न प्राप्ति का वरदान दिया। जिसके चलते हिंदू रीति रिवाज में इस पूजन व्रत को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वही भारतीय महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और पुत्र के स्वास्थ्य के लिए सज संवर कर सुहागन की तरह इस पूजा पद्धति को बड़ी विधि विधान से करती हैं। इस पूजन पद्धति में बरगद के विशाल पेड़ की पूजा और कच्चे सूत से इसकी परिक्रमा कि जाती है।
इस पूजा व्रत को लेकर हमारे संवाददाता ने कई ग्रहणीयों से उनके विचार विमर्श जाने जिसमें कानपुर की सुप्रसिद्ध कवियत्री पल्लवी त्रिपाठी जी ने इस पूजा पद्धति की जानकारी दी और जिस तरीके की आज डरावनी स्थिति समाज में एक दूसरे से दूरी बनाने पर मजबूर कर रह समाज पर हावी हो रहा है। वही उन्होंने इस व्रत पूजन को किस प्रकार समाजीट समाजीक दूरी को ध्यान में रखते हुए संपन्न किया।
नारी की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक ,सौभाग्य की प्राप्ति हेतु हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को बट सावित्री व्रत एवं पूजन प्रावधान है। धार्मिक मान्यतानुसार महिलाएं अपने पति एवं अपनी परिवार की सुख ,समृद्धि ,आरोग्य एवं स्वास्थ्य की कामना के साथ महिलाए ये व्रत करती हैं। मान्यतानुसार यह पूजन, क्षेत्र में स्थित किसी प्राचीन बरगद के पेड़ के समीप जाकर संपन्न होता है,किंतु इस बार महामारी के प्रकोप के चलते सामाजिक दूरी को बनाकर रखना अति आवश्यक था। तो इस बार यह पूजा अपने घर में रहते हुए ,आपने अपनी मां के साथ घर में रोपित बरगद के पेड़ से पूजा पूर्ण कर व्रत पूजन की विधि को पूर्ण करने के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया। पल्लवी जी के अनुसार हमारी श्रद्धा के साथ-साथ समाज का स्वास्थ्य भी अति आवश्यक है। जब तक इस बीमारी का कोई समाधान नहीं मिल जाता तब तक सामाजिक दूरी को निभाना हम सब का उत्तरदायित्व है। ईश्वरीय शक्तियां कण-कण में विद्यमान हैं अतः हमारी सबसे यह अपील है कि हम सब शासन और प्रशासन के द्वारा निर्धारित की गई नियमावली का पालन करें और बहुत आवश्यकता होने पर ही अपने घरों से निकलें। (कवियित्री पल्लवी त्रिपाठी कानपुर)
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वहीं “मथुरा” निवासी, गृहणी “पारुल पांडे” ने भी सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए अपने फ्लैट के मकान में ही बरगद के पौधे के साथ पूजा व्रत संपन्न किया पारुल पांडे ने बताया कि हाल ही में हुई शादी के कारण पूजा पद्धति की विधि पूर्णता अपनी सास वह अपनी मां से फोन के माध्यम से वीडियो कॉल के जरिए पूर्ण की।
वहीं “अकबरपुर” निवासी “राधा त्रिवेदी” ने भी घर पर रहकर सामाजिक दूरियों और सामाजिक स्वस्थ को ध्यान में रखते हुए या पूजन अपने घर में बरगद की डंगाल के माध्यम से पूर्ण की। कानपुर की कोमल द्विवेदी ने भी घर पर रहकर इस व्रत को विधिपूर्वक संपन्न किया और समाज को समाजिक दूरी बनाए रहने की एक प्रार्थना रूपी अपील की आज देश को महामारी से सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है जिस प्रकार महामारी ने पूरी दुनिया को अपने क्रोध का शिकार बनाया हुआ है वहीं इस महामारी से बचाव के लिए सामाजिक दूरी और घर पर रहकर ही इस को हराया जा सकता है।
इस नियम और बचाव को प्रधानमंत्री मोदी जी के माध्यम से तमाम देशवासियों ने इसे अपना बचाओ और हथियार बनाया जिसके चलते तमाम ग्रहणीओं ने वट सावित्री पूजन व्रत घर पर रहकर और सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए उसे पूर्णता विधि पूर्वक संपन्न किया और समाज के साथ-साथ पूरी दुनिया को यह संदेश भी दिया की महामारी से डरने की आवश्यकता नहीं है बस कुछ बचाव और सावधानियां ही इसके लिए घातक हथियार बनाकर इस महामारी को हराया जा सकता है। video के लिए क्लिक करें https://youtu.be/BQio7DEqoB4