दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला कुंभ भारत के प्रयागराज शहर में सोमवार से शुरू हो गया है। ये मेला 49 दिनों के बाद 4 मार्च को खत्म होगा। इस मेले में 15 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। साथ ही करीब 10 लाख विदेशी नागरिक भी शामिल हो सकते हैं।
सरकार का कहना है कि मेला पहले 20 वर्ग किमी में ही होता था लेकिन इस बार 45 वर्ग किमी के दायरे में फैला होगा। ऐसा पहली बार हो रहा है जब ये इतने बड़े क्षेत्र में हो रहा है। मेले के लिए सबसे खास हैं टेंट सिटी। 50 करोड़ रुपये की लागत में ऐसी 4 टेंट सिटी बनाई गई हैं। जिनके नाम हैं, वृक्ष, कुंभ कैनवास, वैदिक टेंट और इंद्रप्रस्थ सिटी। सरकार के आंकड़ों के अनुसार कुंभ के आयोजन पर कुल खर्च 4300 करोड़ रुपये आएगा। इस बार इस मेले की थीम स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ रखी गई है।
भारत में कुंभ 4 जगहों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगता है। हर स्थान पर 12वें साल कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। इससे पहले 2013 में यहां पिछला कुंभ लगा था। इस बार जो आयोजित हो रहा है वह अर्धकुंभ है। लेकिन सरकार इसे कुंभ ही बता रही है। इस शहर में पूर्ण कुंभ साल 2025 में आएगा।
कुंभ मेला मकर संक्रांति के दिन शुरू होता है। कुंभ का मतलब होता है कलश। यानी समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकला अमृत कलश। ये मान्यता है कि देवता और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर हुई छिनाछपटी में अमृत की कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। ये नदियां हैं, गंगा, शिप्रा और गोदावरी।
कुंभ मेले का जिक्र इतिहास में भी पाया जाता है। इस बारे में गुप्तकाल में कहा गया है। वहीं चीनी यात्री ने भी कुंभ पर किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह 617 से 647 ईसवीं तक भारत में रहे थे। उन्होंने इस किताब में लिखा है कि राजा हर्षवर्धन ने प्रयाग में अपना सबकुछ दान कर दिया था।
इस बार का कुंभ पहले से और अधिक खास होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने यहां 2 इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड एंड सेंटर बनवाए हैं। जो भीड़ और ट्रैफिक को नियंत्रित करने का काम करेंगे। इसके साथ ही 4 पुलिस लाइन समेत 40 पुलिस थाना, 3 महिला थाना, 62 पुलिस पोस्ट बनाई गई हैं। इनमें दो सेंटरों में से प्रत्येक पर 116 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है।