लखनऊ। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के चलते नहीं मिलता है पीड़ितों को न्याय।
ऐसा ही एक मामला राजधानी लखनऊ अंतर्गत मड़ियांव थाने का प्रकाश में आया है जहां महिला पत्रकार के साथ सब इंस्पेक्टर अखिलेश ने की अभद्रता महिला की छाती पर हाथ रखकर महिला को धक्के देते हुए निकाला कार्यालय से बाहर
लगभग एक हफ्ता पूर्व स्कूटी के संबंध में एसीपी, एडीसीपी तथा मड़ियाओं इंस्पेक्टर की मौजूदगी में महिला ने थाने पर दी थी तहरीर,
जिस पर कार्रवाई की मांग के लिए लगभग 1 हफ्ते से मड़ियांव थाने के चक्कर लगा रही थी पीड़ित महिला पत्रकार लगभग एक हफ्ता बीत जाने के बाद आज दिनांक 22/12/2020 को महिला पत्रकार अपनी टीम के साथ अपनी दी हुई तहरीर पर एफ आई आर करवाने की मांग को लेकर पहुंची थी थाने जहां पर उसे न्याय मिलना तो दूर की बात शर्म की सारी दहलीजों को पार करते हुए चौकी प्रभारी अखिलेश ने पीड़ित महिला की छाती पर हाथ रख कर धक्का दे दिया तथा कार्यालय से धक्का देते हुए बाहर निकाल दिया। साथ ही अन्य पत्रकारों के साथ ऊंची आवाज में चिल्ला कर उन्हें दबाने की कोशिश करने लगे बिठौली चौकी इंचार्ज अखिलेश।
राजधानी के अंदर यह आज कोई पहली घटना नहीं है जहां पत्रकारों के साथ अभद्रता की गई हो। ऐसे ही न जाने कितने मामलेे राजधानी लखनऊ में होते हैं परंतु पीड़ित पत्रकारों को नहीं मिलता है न्याय जबकि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने यह आदेश जारी किया है कि पत्रकारों से किसी भी तरह की अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
योगी जी के आदेशों को ताक पर रखकर उनके आदेशों की धज्जियां उड़ाने में लगा है लखनऊ पुलिस प्रशासन।
पत्रकार को धक्के देकर अपने कार्यालय से बाहर निकालना व पत्रकार के साथ अभद्रता करना संविधान के चौथे स्तंभ की गरिमा को अपमानित करना है जिसका हक लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट को किसने दिया।
आखिर कब थमेगा पत्रकारों को धमकाने का व पत्रकारों को अपमानित करने का मामला।